इस साल अभी तक स्थिति यह रही है कि बैंक हर दिन औसतन 1.09 लाख करोड़ रुपए रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो की सुविधा के तहत जमा कराते रहे हैं जिस पर उन्हें महज 3.25 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है। बैंकिंग सिस्टम में इस राशि को अतिरिक्त तरलता माना जाता है। यह वह राशि है जो आम लोगों से लेकर औद्योगिक क्षेत्र को उधार देने और विभिन्न माध्यमों में निवेश करने के बादऔरऔर भी

देश के बैक सड़क से लेकर बिजली जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को ऋण देते-देते परेशान हो गए हैं। इस साल उन्होंने कुल मिलाकर उद्योग क्षेत्र को 14 फीसदी ही ज्यादा कर्ज दिया है जिसके चलते रिजर्व बैंक को कर्ज में इस वृद्धि का लक्ष्य 18 से घटाकर 16 फीसदी करना पड़ा है। लेकिन इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को बैंकों से मिले कर्ज में 46 फीसदी की शानदार वृद्धि हुई है। यह कहना है खुद रिजर्व बैंक के डिप्टीऔरऔर भी

खाद्य पदार्थों की बढ़ती महंगाई पर हायतौबा मची हुई है। कई विद्वान कहते फिर रहे हैं कि सरकार को आयात के जरिए इस महंगाई पर काबू पाना चाहिए। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक से टो-टूक शब्दों में कह दिया है कि ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि दूसरे देशों में खाद्य पदार्थों की कीमतें हम से ज्यादा बढ़ी हैं। आज पेश की गई मौदिक्र नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. डी सुब्बारावऔरऔर भी

मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा के पेश होने में अब बस एकाध दिन का समय बचा है और बाजार में भयंकर ऊहापोह है कि इस बार क्या होनेवाला है। इसका संकेत इस बात से मिलता है कि बाजार के बेंचमार्क दस साल की परिपक्वता वाले सरकारी बांडों का भाव बुधवार को एक समय गिरकर 91.37 रुपए (अंकित मूल्य 100 रुपए) और यील्ड की दर बढक़र 7.60 फीसदी पर चली गई, जबकि सोमवार को इन बांडोंऔरऔर भी