वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी पर घाटे को घटाने की चिंता हावी है। पता चला कि देश की विदेशी मुद्रा स्थिति को दिखानेवाले चालू खाते का घाटा व्यापार घाटे के बढ़ने से बढ़ता जा रहा है और व्यापार घाटे में कच्चे तेल के अलावा सोने के आयात का बढ़ा योगदान है तो उन्होंने खटाक से इसके आयात को हतोत्साहित करने के लिए उस पर शुल्क दोगुना कर दिया।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में माना कि चालू साल 2011-12 में चालू खाते का घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3.6 फीसदी तक पहुंच जाएगा, जबकि बीते साल 2010-11 में यह जीडीपी का 2.7 फीसदी ही था। चालू खाते के इस तरह बढ़ जाने की वजह है इस साल की पहली तीन तिमाहियों में सोने व अन्य बहुमूल्य धातुओं का आयात करीब-करीब 50 फीसदी बढ़ जाना।
इसलिए 99.5 फीसदी से ज्यादा शुद्धता वाले स्टैंडर्ड सोने की छड़ व सिक्कों और प्लेटिनियम पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 2 से बढ़ाकर 4 फीसदी करने का प्रस्ताव है। इसी तरह नॉन-स्टैंडर्ड सोने पर कस्टम ड्यूटी या आयात शुल्क 5 से बढ़ाकर 10 फीसदी करने का प्रस्ताव है। साथ ही रिफाइनिंग के लिए बाहर से मंगाए जानेवाले स्वर्ण अयस्क व कंसेंट्रेट पर कस्टम ड्यूटी 1 से 2 फीसदी कर दी जाएगी। रिफाइंड सोने पर एक्साइज ड्यूटी भी 1.5 फीसदी से बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है। राउंट ट्रिपिंग को रोकने के लिए हीरे की ही तर्ज पर कट, पालिश्ड व कलर्ड जवाहरात पर 2 फीसदी की बुनियादी कस्टम ड्यूटी लगा दी गई है।
असल में वाणिज्य मंत्रालय ने इधर आयात में अलग-अलग जिसों का ब्यौरा देना बंद कर दिया है। लेकिन दिसंबर तक घोषित जानकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अप्रैल-नवंबर के आठ महीनों में देश का व्यापार घाटा 116.8 अरब डॉलर का था जिसका 35.45 फीसदी हिस्सा, 41.40 अरब डॉलर हमने सोने के आयात पर खर्च किया था।
गौरतलब है कि व्यापार घाटे में अगर दूसरे देशों के साथ हुए सेवा व्यापार व बाहरी निवेश से रॉयल्टी वगैरह के रूप में मिली आय को जोड़ दें तो देश के चालू खाते का निर्धारण होता है। चालू खाते का यह घाटा भुगतान संतुलन के लिए बड़ा मायने रखता है। इसे भी राजकोषीय घाटे की तरह जीडीपी के अनुपात में मापा जाता है। अगर चालू खाते का घाटा जीडीपी के 3 फीसदी से ज्यादा हो जाता है तो इसे खतरे की घंटी माना जाता है।
बता दें कि भारत इस समय दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। हम सोना न के बराबर बनाते हैं। इसलिए हमारी सारी मांग आयात से पूरी की जाती है। कस्टम ड्यूटी बढ़ने से इस धंधे पर बुरा असर पड़ेगा। यही प्रतिक्रिता दर्शाते हुए बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी का कहना है, “यह अच्छा नहीं हुआ। इससे देश में सोने की मांग काफी घट जाएगी।” अच्छा है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ही नहीं, रिजर्व बैंक के गवर्नर सुब्बाराव भी यही चाहते हैं। इसके लिए सरकार करीब महीने पहले ही वजन के बजाय मूल्य पर आयात शुल्क लगाने की व्यवस्था की थी। फिर उसके बाद सोने-चांदी का आधार मूल्य बढ़ा दिया था। इससे आयात शुल्क लगभग 90 फीसदी बढ़ गया था। अब उसे इसके ऊपर 100 फीसदी (दो से चार) बढ़ा दिया गया है।