यूं तो महज कागज की एक पट्टी होता है लिटमस। लेकिन द्रव में डालते ही खटाक से बता देता है कि वो अम्ल है या क्षार। काश! शेयर बाजार के लिए भी ऐसा कोई इकलौता लिटमस टेस्ट होता जो बता देता कि कोई कंपनी निवेश के काबिल है या नहीं। मुश्किल यह है कि यहां वर्तमान को ही नहीं, भविष्य को भी परखा जाता है। कई टेस्ट हैं। लेकिन वे आंशिक सच ही दिखाते हैं। अगर हम इन सभी टेस्टों को एक साथ लगा भी दें तब भी अनिश्चितता का बिंदु रह जाता है। इसीलिए शेयर बाजार के निवेश में जोखिम का तत्व हमेशा घुसा रहता है। यहां कोई भी गारंटी नहीं दे सकता है कि ऐसा या वैसा होकर रहेगा। फिर भी अगर कोई कहता है तो उसे सिर्फ और सिर्फ मार्केटिंग समझना चाहिए।
फिलहाल हम किसी स्टॉक की औकात को समझने के लिए खुद को चार टेस्ट की चर्चा तक सीमित रहते हैं। एक, कंपनी में एफआईआई या विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी। दो, प्रवर्तकों द्वारा गिरवी रखे या प्लेज किए गए शेयर। और तीन, कंपनी का ऋण इक्विटी अनुपात। अगर कंपनी में एफआईआई की शेयरधारिता 20 फीसदी से ज्यादा है तो उसमें भूचाल आने की आशंका ज्यादा रहती है। अगर प्रवर्तकों ने अपने हिस्से की इक्विटी का 30 फीसदी से ज्यादा गिरवी रखा हुआ है तो लाख अच्छी होने के बावजूद आम निवेशकों को उससे दूर रहना चाहिए। तीसरे, अगर किसी कंपनी का ऋण इक्विटी अनुपात एक से ज्यादा है तो समझ लीजिए कि उसमें निवेश करना खतरे से खाली नहीं। और चार, उसका इंटरेस्ट कवरेज अनुपात क्या है? अगर कम है तो खतरा, ज्यादा है तो ठीक।
आइए, इन चार टेस्टों पर कोर एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजीज को कसने की कोशिश करते हैं। बडा नाम और पहुंच है इस कंपनी की। ज्यादा पुरानी नहीं, 2003 में बनी कंपनी है। नाम पहले कोर प्रोजेक्ट्स हुआ करता था। शिक्षा जैसे तेजी से उभरते धंधे में सक्रिय है। भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, मध्य-पूर्व और आठ अफ्रीका व तीन कैरीबियाई देशों तक फैली हुई है। कंसोलिडेटेड स्तर पर बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 1091.23 करोड़ रुपए की आय पर 225.01 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। स्टैंड-एलोन स्तर पर उसकी आय 515.59 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 123.70 करोड़ रुपए रहा था।
चालू वित्त वर्ष 2011 में दिसंबर 2011 तक के नौ महीनों में समेकित रूप से वह 1155.97 करोड़ रुपए की आय पर 243.86 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमा चुकी है। स्टैंड-एलोन रूप से इन नौ महीनों में उसकी आय 621.34 करोड़ और शुद्ध लाभ 128.84 करोड़ रुपए रहा है। इस तरह कंपनी इस साल के नौ महीनों में ही पिछले पूरे साल से ज्यादा का धंधा कर चुकी है। कंपनी ने करीब दो हफ्ते पहले ही मध्य-पूर्व के संयुक्त अरब अमीरात के एक इलाके में स्थानीय सरकार व बिड़ला इंस्ट्रीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची के साथ मिलकर इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर व बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन का शिक्षण केंद्र बनाने की शुरुआत की है।
लेकिन इस चमकदार, होनहार पक्ष के पीछे का सच यह है कि प्रवर्तकों ने कंपनी की 22.43 करोड़ रुपए की इक्विटी में अपनी 46.38 फीसदी इक्विटी का 28.56 फीसदी हिस्सा गिरवी रखा हुआ है। यह हिस्सा कंपनी की कुल इक्विटी का 13.24 फीसदी बनता है। कंपनी में एफआईआई की हिस्सेदारी दिसंबर 2011 के अंत तक 22.37 फीसदी रही है और उन्होंने दिसंबर 2010 के बाद से लगातार हर तिमाही में अपनी हिस्सेदारी थोड़ी-थोड़ी बढ़ाई है। कंपनी पर कुल 839.51 करोड़ रुपए का कर्ज है और उसका ऋण इक्विटी अनुपात 0.57 है।
कंपनी ने दिसंबर 2011 की तिमाही में कर व ब्याज पूर्व 87.29 करोड़ रुपए का लाभ कमाया है, जबकि उसकी ब्याज अदायगी 27.80 करोड़ रुपए रही है। इस तरह कर व ब्याज पूर्व लाभ और ब्याज अदायगी का अनुपात या दूसरे शब्दों में इंटरेस्ट कवरेज अनुपात 3.14 है। यह अगर 31.4 होता तो कंपनी में निवेश करने में खतरा नहीं रहता। लेकिन इंटरेस्ट कवरेज अनुपात का 3.14 होना दिखाता है कि भले ही कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात एक से कम है, लेकिन उसमें निवेश करना काफी जोखिम से भरा है।
हमने जो तीन लिटमस टेस्ट गिनाए थे, उनमें से एफआईआई होल्डिंग के मामले में भी यह फेल है। प्रवर्तकों ने अपने 30 फीसदी से कम 28.56 फीसदी हिस्सा ही गिरवी रखा हुआ है। फिर भी डेढ़ फीसदी के इस अंतर से उसका जोखिम कम नहीं हो जाता। कोर एजुकेशन का दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बुधवार, 7 मार्च को बीएसई (कोड – 512199) में 281.75 रुपए और एनएसई (कोड – COREEDUTECH) में 282.95 रुपए पर बंद हुआ है। यह एफ एंड ओ सेगमेंट में भी शामिल है। इसलिए भी इसमें उठा-पटक की ज्यादा आशंका है।
इस शेयर का 52 हफ्ते का न्यूनतम स्तर 245.20 रुपए है जो इसने 29 दिसंबर 2011 को हासिल किया था, जबकि 11 महीने पहले 8 अप्रैल 2011 को यह 350.60 रुपए के शिखर पर बैठा था। यह शेयर फिलहाल 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर के ज्यादा करीब है और दिसंबर 2011 के बारह महीनों के कंसोलिडेट ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 27.94 रुपए को देखते हुए 10.08 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसकी बुक वैल्यू 111 रुपए है। इस तरह बुक वैल्यू और शेयर के भाव का अनुपात 1 : 2.54 का है जिसे ठीकठाक माना जाएगा। लेकिन हमारे-आप जैसे आम निवेशकों को इस स्टॉक से दूर रहना चाहिए क्योंकि तीनों लिटमस टेस्ट बताते हैं कि इसमें जोखिम बहुत ज्यादा है।
पुनश्च: एक बात बतानी रह गई थी। 2006 को मिलाकर 2011 तक के छह सालों में चार बार होली सप्ताह के दौरान पड़ी है और चारों ही बार होली मनाकर अगले दिन बाजार बढ़ गया है। शायद इस बार भी वैसा ही हो जाए।