चलते-चलते राह में तिराहे-चौराहे आते हैं। सोचते-सोचते मन में दुविधाएं आती हैं। सुलझते-सुलझते नई समस्याएं आ जाती हैं। यही तो जीवन का आनंद है दोस्त। वरना, सब एकसार रहता तो बोर नहीं हो जाते।
2010-07-21
चलते-चलते राह में तिराहे-चौराहे आते हैं। सोचते-सोचते मन में दुविधाएं आती हैं। सुलझते-सुलझते नई समस्याएं आ जाती हैं। यही तो जीवन का आनंद है दोस्त। वरना, सब एकसार रहता तो बोर नहीं हो जाते।
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सच कहा, यही आनन्द है.
दुविधायें भली हैं, जीवन के श्रेष्ठतम अध्याय ढूढ़कर ले आती हैं।