केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम हर तरफ से घिर गए हैं। लेफ्ट से लेकर राइट तक उनके इस्तीफे और 2जी घोटाले में उनकी भूमिका की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। सूचना अधिकार के तहत हासिल वित्त मंत्रालय द्वारा इसी साल मार्च में प्रधानमंत्री को लिखे हुए उस पत्र से बवाल मचा हुआ है जिसमें कहा गया है कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम चाहते तो पहले आओ पहले पाओ की नीति पर 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन रोका जा सकता था और इसकी जगह नीलामी का तरीका अपनाया जा सकता था।
लेकिन इस सारे होहल्ले और राजनीतिक हमले के बीच पी चिदंबरम किसी शातिर वकील की तरह चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी तरफ से जारी बयान में कहा गया है, “प्रधानमंत्री ने कल रात फ्रैंकफर्ट से मुझे फोन कर बात की। वित्त मंत्री ने भी वॉशिंगटन से फोन कर मुझसे बात की। मैंने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया है कि वे जब तक स्वदेश नहीं लौटते हैं तब तक मैं कोई सार्वजनिक बयान नहीं दूंगा।”
समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने चिदंबरम के साथ फोन पर हुई करीब 20 मिनट की बातचीत में कहा कि वित्त मंत्रालय की तरफ से 25 मार्च 2011 को भेजा गया गोपनीय नोट उन्हें नहीं दिखाया गया है। वित्त मंत्रालय के उप निदेशक पीजीएस राव द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव विनी महाजन को लिखा गया यह नोट बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। नोट के साथ संलग्न पत्र में यह भी कहा गया है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस नोट को देखा था।
बता दें कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी दोनों ही इस समय अमेरिका में हैं। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने फोन पर चिदंबरम से कहा कि उन्हें उनकी (चिदंबरम की) ईमानदारी पर पूरा भरोसा जताया और वे यह कहने के लिए भी तैयार हैं। वहीं प्रणव मुखर्जी ने वित्त मंत्रालय के पत्र के बारे में मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। न्यूयॉर्क में एक समारोह के बीच में श्री मुखर्जी ने बस इतना कहा, “2जी घोटाले से जुड़ी मेरी एक चिट्ठी को प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत हासिल किया गया है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।”
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस मामले पर काफी गभीर हैं। वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के वापस लौटने के बाद दोनों से इस मुद्दे पर चर्चा करेंगी। वित्त मंत्री 26 सितंबर और प्रधानमंत्री 27 सितंबर को वापस दिल्ली पहुंच जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने न्यूयार्क से 27 सितंबर को वापस स्वदेश लौटने तक चिदंबरम को धैर्य रखने की सलाह दी।
इस बीच राजधानी दिल्ली के राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि चिदंबरम को इस्तीफा देना पड़ सकता है। बीजेपी ने तत्काल उनके इस्तीफे की मांग की है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि इस मामले में चिदंबरम की भूमिका संदिग्ध लगती है। ऐसे में उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। अगर वे इस्तीफा नहीं देते हैं तो उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता का भी कहना है कि जिस तरह सीबीआई ने अपनी ओर से पहल कर ए राजा के खिलाफ कार्रवाई की, चिदंबरम के मामले में भी उसे वैसी ही सक्रियता दिखानी चाहिए। सीपीएम ने भी गृहमंत्री की भूमिका की सीबीआई द्वारा जांच किए जाने की मांग की है। पार्टी के महासचिव प्रकाश करात ने यह मांग की है।
हालांकि सरकार की दलील है कि 2जी घोटाले की जांच पर अब सुप्रीम कोर्ट को अपनी निगरानी बंद कर देनी चाहिए। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी पी राव ने तर्क दिया कि निचली अदालत में चार्जशीट दायर हो चुकी है। इसलिए अब जांच की निगरानी की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई कि चार्जशीट दायर होने के बाद जांच करना ठीक नहीं होगा, फिर भी अगर सुप्रीम कोर्ट कहे तो चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई जांच कराई जा सकती है।