केंद्र सरकार ने डाक जीवन बीमा निदेशालय को 7000 करोड़ रुपए के विशेष बांड जारी करने का फैसला किया है। ये बांड डाकघर जीवन बीमा निधि और ग्रामीण डाकघर जीवन बीमा निधि की जब्त रकम के एक हिस्से के रूप में जारी किए जा रहे हैं। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की तरफ से जारी सूचना के अनुसार इसके तहत जारी प्रतिभूतियों का नाम ‘पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सिक्यूरिटी’ होगा।
ये प्रतिभूतियां दो तरह की होंगी। एक पर 8.01 फीसदी सालाना ब्याज दिया जाएगा और वे 2021 में परिपक्व होंगी। इस तरह की प्रतिभूतियां 4000 करोड़ रुपए मूल्य की होंगी। दूसरी तरह की प्रतिभूति 3000 करोड़ रुपए मूल्य की होगी। इस पर सालाना ब्याज की दर 8.08 फीसदी होगी और ये 2023 में परिपक्व होंगी। दोनों ही प्रतिभूतियां 31 मार्च 2011 को जारी कर दी गई हैं।
इस तरह कुल मिलाकर डाक जीवन बीमा निदेशालय को 7000 करोड़ रुपए की सरकारी प्रतिभूतियां दे दी गई हैं। लेकिन डाकघर जीवन बीमा निधि की किस जब्त राशि के एवज में इन्हें जारी किया गया है, यह बात वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक की तरफ से दी गई जानकारी से पता नहीं चलता। खैर, इन विशेष प्रतिभूतियों में बैंक, बीमा कंपनियां, प्रोविडेंट फंड, ग्रेच्युटी फंड और सुपर एनुएशन फंड वगैरह निवेश कर सकते हैं। हालांकि इसमें बैंक व बीमा कंपनियों का निवेश एसएलआर जैसे वैधानिक रूप से निर्धारित निवेश में नहीं गिना जाएगा। इन प्रतिभूतियों में रेपो (रेडी फॉरवर्ड) सौदों की इजाजत होगी।
बता दें कि पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस या डाक जीवन बीमा की शुरुआत अंग्रेजों के राज में 1884 से ही हो गई थी। इसे डाक-तार विभाग के कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी उपाय के रूप में शुरू किया गया था। लेकिन स्कीमों की लोकप्रियता के चलते बाद में इसे केंद्र व राज्य सरकारों के सभी विभागों के साथ-साथ तमाम सरकारी कंपनियों व संस्थाओं के कर्मचारियों को भी दिया जाने लगा। दूसरी तरफ ग्रामीण जीवन बीमा की शुरुआत मार्च 1995 में की गई और इसका लाभ देश के ग्रामीण इलाकों में रहनेवालों को दिया जाता है।
इस समय डाक विभाग की पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस के तहत लगभग 50 लाख पॉलिसियां बेची जा चुकी हैं और इनमें जमा रकम 58,132 करोड़ रुपए है, जबकि ग्रामीण पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस के अधीन लगभग 1.30 करोड़ पॉलिसियां बेची गई हैं जिनमें 67,162 करोड़ रुपए जमा है।
खबरों के मुताबिक डाक विभाग ने अपने जीवन बीमा कारोबार के ग्राहकों की संख्या अगले पांच साल में बढ़ाकर लगभग 10 करोड़ करने का लक्ष्य रखा है और इसकी रूपरेखा बनाने के उद्देश्य से वह तमाम सलाहकार फर्मों से बातचीत कर रहा है। लेकिन यह बातचीत अभी शुरुआती चरण में है और फिलहाल कुछ भी तय नहीं किया गया है। विभाग ने अपने जीवन बीमा कारोबार के बारे में दीर्घकालिक रणनीति पर सलाह लेने के लिए फर्मों से रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए हैं।