प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने मंगलवार को अपनी बैठक में दो प्रमुख सरकारी खनन कंपनियों कोल इंडिया और हिंदुस्तान कॉपर के विनिवेश को हरी झंडी दे दी। लेकिन तय हुआ है कि कोल इंडिया में कोई नए शेयर नहीं जारी किए जाएंगे और सरकार की 10 फीसदी हिस्सेदारी ही बेची जाएगी, जबकि हिंदुस्तान कॉपर में 10 फीसदी सरकारी इक्विटी बेचे जाने के साथ-साथ 10 फीसदी नए शेयर जारी किए जाएंगे।
कैबिनेट समिति की बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मीडिया को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोल इंडिया की 10 फीसदी इक्विटी का विनिवेश पूरी तरह बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। इसमें से एक फीसदी इक्विटी कोल इंडिया और उसकी आठ सब्सिडियरी इकाइयों के कर्मचारियों के लिए आरक्षित है। कोल इंडिया के आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) में इन कर्मचारियों के साथ ही रिटेल निवेशकों को भी 5 फीसदी कम मूल्य पर शेयर दिए जाएंगे। कैबिनेट ने अपने फैसले में कहा गया है कि 5 फीसदी की यह रियायत कर्मचारियों से लेकर आम निवेशकों को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मालिकाने में शामिल होने के प्रोत्साहन के लिए दी जा रही है। कोल इंडिया का आईपीओ सितंबर तक आएगा।
बता दें कि कोल इंडिया सरकार की नवरत्न कंपनी है। उसकी इक्विटी 6316.36 करोड़ रुपए है जो आईपीओ के बाद भी इतनी ही रहेगी। लेकिन तब सरकार की हिस्सेदारी इसमें 100 फीसदी से घटकर 90 फीसदी हो जाएगी। पहले यह भी सोचा गया था कि कंपनी के 10 फीसदी नए शेयर जारी किए जाएंगे। लेकिन कैबिनेट ने इसकी मंजूरी नहीं दी। दोनों में अंतर यह है कि नए शेयरों की बिक्री से मिली राशि कंपनी के खाते में जाती है, जबकि सरकारी हिस्सेदारी बेचने से मिली रकम राष्ट्रीय निवेश फंड (एनआईएफ) में जाएगी।
चिदंबरम ने यह भी बताया कि हिंदुस्तान कॉपर में सरकार अपनी 10 फीसदी बेचेगी और साथ ही कंपनी के 10 फीसदी नए इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। कंपनी का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) लाया जाएगा क्योंकि वह पहले से ही स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध है। इसके तहत कंपनी के 5 रुपए अंकित मूल्य के 9,25,21,800 नए शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा इतने ही शेयर सरकार की हिस्सेदारी से समान मूल्य पर बेचे जाएंगे। इस तरह हिंदुस्तान कॉपर के कुल 18,50,43,600 शेयर बेचे जाएंगे। इससे मिलनेवाली रकम का आधा हिस्सा कंपनी के पास और आधा हिस्सा सरकार के खजाने में जाएगा।
हिंदुस्तान कॉपर के एफपीओ में भी कंपनी कर्मचारियों और रिटेल निवेशकों को 5 फीसदी कम मूल्य पर शेयर दिए जाएंगे। कंपनी की इक्विटी अभी 462.61 करोड़ रुपए है जिसमें सरकार की हिस्सेदारी 99.59 फीसदी है। इसके 5 रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव इस समय एनएसई में 510 रुपए चल रहा है। एफपीओ के बाद कंपनी में सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी घटकर 81.45 फीसदी रह जाएगी।
कोल इंडिया और हिंद कॉपर में यह विनिवेश उस पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है जिसके जरिए केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। यह भी नोट करने की बात है कि रेल मंत्री ममता बनर्जी के विरोध के बावजूद सरकार कोल इंडिया और हिंदुस्तान कॉपर में विनिवेश का फैसला लेने में कामयाब रही है।