एक एनजीओ ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल जी.ई. वाहनवती के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) नाम की इस संस्था ने सिब्बल पर आरोप लगाया है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में उन्होंने अनिल अंबानी की अगुवाई वाली आरकॉम पर लगने वाले जुर्माने की रकम को 650 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ कर दिया।
सीपीआईएल का यह भी आरोप है कि वाहनवती ने यूपीए की पहली सरकार के कार्यकाल के दौरान कानून मंत्रालय को नज़रअंदाज करते हुए तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा को राय दी थी। बता दें कि इससे पहले मार्च माह में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में
वाहनवती से पूछताछ कर चुकी है। वाहनवती का कहना है कि दूरसंचार विभाग ने उन्हें एक प्रेस विज्ञप्ति भेजकर उस पर उनकी कानूनी राय मांगी थी। उन्होंने उस विज्ञप्ति पर कुछ नोटिंग लिख कर उसे दूरसंचार विभाग को भेज दिया था। लेकिन विज्ञप्ति पर की गई नोटिंग के साथ बाद में छेड़छाड़ कर दी गई थी। समझा जाता है कि अपने बयान में अटार्नी जनरल ने सीबीआई को बताया था कि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रेस विज्ञप्ति के दो पैराग्राफ हटा दिए गए थे।