निवेश और युद्ध में वही सफल होता है जो रणनीति व योजना बनाकर चलता है। सबसे सफल निवेशक वो बनता है जो संकट का पहला संकेत मिलते ही घबराता नहीं। वो बाज़ार की हर तरह की स्थिति के लिए पहले से योजना बनाकर चलता है। साथ ही अड़ियल नहीं, बल्कि बाज़ार की स्थिति के अनुरूप लचीला रुख अपनाने को तैयार रहता है। यह भी जान लें कि बाज़ार में केवल जानकर या सटीक ज्ञान से भी नहींऔरऔर भी

न जीवन, न समाज और न ही निवेश की दुनिया फॉर्मूलों में बंधकर चलती है। इसलिए सार्थक जीवन जीने और सफल निवेश के लिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। यह भी जान लें कि पढ़े-लिखे होने का मतलब वित्तीय साक्षरता नहीं। केरल देश का सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य है। लेकिन वहां के सबसे ज्यादा लोग लॉटरी खेलते हैं जो शुद्ध रूप में गंवाने का उपक्रम है, कमाने का नहीं। जिस दिन सभी लोग लॉटरी जीतने लगेंगे, उसऔरऔर भी

शेयर बाज़ार धन के लिए मारा-मारी कर रहे सतत युद्ध का मैदान है। इसमें घुसते वक्त हमें छोटे सामान्य रिटेल निवेशक व ट्रेडर होने की अपनी हैसियत याद रखनी चाहिए। याद रखना चाहिए कि इसमें हम जैसे कम पूंजी व पहुंच वाले लोग ही नहीं, एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल) या बेहद धनवान लोग और देशी-विदेशी सस्थाएं, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड व बैंक जैसे दिग्गज तक दांव लगाते हैं। ट्रेडिंग में तो हम यकीनन ऐसे बड़ों की राहऔरऔर भी

जब हर तरफ सोशल मीडिया पर निवेश के गुर सिखानेवाले घंटालों की बाढ़ आई हो, तब हमेशा एक बात याद रखनी चाहिए कि अपना अनुभव ही हमारा सबसे बड़ा शिक्षक या गुरु होता है। यही प्रज्ञा या प्रत्यक्ष ज्ञान है। हर साल हमें कुछ न कुछ प्रज्ञा देकर जाता है। वित्तीय बाज़ार पर आई हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में म्यूचुअल फंडों की एसआईपी स्कीम निवेशकों की पहली पसंद रही है। इस दौरान 62%औरऔर भी

अर्थव्यवस्था की हालत डांवाडोल हो, सरकार के दावों पर यकीन न रह गया हो, विदेशी निवेशक भागे जा रहे हों, तमाम कंपनियों का धंधा मंदा चल रहा हो, शेयर बाज़ार गिरा जा रहा हो, तब ऐसा क्या पैमाना है जिसे निवेश लायक कंपनियां छांटने का आधार बनाया जा सकता है? यह है नियोजित पूंजी पर रिटर्न या RoCE, जिसे कंपनी के ब्याज व टैक्स से पहले के लाभ (EBIT) को नियोजित पूंजी से भाग देकर निकाला जाताऔरऔर भी

अर्थव्यवस्था की जो स्थिति अभी है और अगले एकाध साल में जो हो सकती है, यह सारी जानकारी शेयर बाज़ार हर समय जज्ब करके चलता है। इसलिए किसी को भ्रम नहीं होना चाहिए कि वह अर्थव्यवस्था को जानकर शेयर बाज़ार का सफल निवेशक बन सकता है। हां, इसका उल्टा ज़रूर सही है कि शेयर बाजार प्रचार के शोर को भेदकर अर्थव्यवस्था का सच्चा हाल बयां कर देता है। जैसे, इस समय निफ्टी-50 सूचकांक में शामिल चार कंपनियोंऔरऔर भी

शेयर बाज़ार तो चक्रों में चलता है। लेकिन हमें निवेश की अपनी सोच व रणनीति को हमेशा संतुलित रखना होता है। भावना में बहकर लिए गए फैसले निवेश की सफलता के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। भीड़ की भेड़चाल में नहीं फंसना है। न कभी लालच में आकर निवेश करना है, न ही डरकर अफरातफरी में बेचकर निकल जाना है। निवेश से रिटर्न कमाने के तीन मुख्य रास्ते हैं। एक, उधार देकर उस पर ब्याज कमाना। देशऔरऔर भी

शेयरों में निवेश करो और भूल जाओ। यह मंत्र उनके लिए है जिनके पास इफरात धन है। लेकिन जो निवेशक अपनी भावी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शेयरों में अपनी बचत लगाने का जोखिम उठाते हैं, उनके लिए निवेश करो और भूल जाओ की यह सोच विशुद्ध विलासिता है। उन्हें ज़रूरत पड़ने या लक्ष्य पूरा होने पर शेयरों को बेचकर मुनाफा निकालते रहना चाहिए। इससे वे किसी वजह से अचानक शेयरों के गिरने के नुकसान सेऔरऔर भी

सालों-साल से बनाया जा रहा 24-25 स्टॉक्स का जो पोर्टफोलियो सितंबर तक 60-62% फायदा दिखा रहा था, दो महीने में ही वहां फायदा 30-32% तक सिमट जाए तो किसी का भी दुखी हो जाना स्वाभाविक है। कमज़ोर कंपनियों के शेयर गिर जाएं तो समझ में आता है। लेकिन अच्छी-खासी मजबूत कंपनियों के शेयर घाटा देने लग जाएं तो धैर्यवान व समझदार निवेशक भी मायूस हो जाता है और खुद को असहाय महसूस करता है। लेकिन इतिहास साक्षीऔरऔर भी

आपने अगर रिसर्च के आधार शेयर बाज़ार में निवेश करने की समझ और आदत बना ली तो बहुत अच्छा। तब धीरे-धीरे आपको कंपनियों और उनके धंधे की समझ बढ़ती जाएगी। तब आप उनके मूल्यांकन का गणित भी समझने लगेंगे। शुरू में ही आपको ईपीएस और पी/ई का महत्व पता लगने लगेगा। यह भी थोड़े समय में आप जान जाएंगे कि बैंकिंग व फाइनेंस कंपनियों में ईपीएस और पी/ई नहीं, बल्कि प्रति शेयर बुक वैल्यू (बीपीएस) और पी/बीऔरऔर भी