शायद आपको नहीं पता है कि अब कोई भी डॉक्टर दवा कंपनियों ने न तो फ्री गिफ्ट ले सकता है और न ही उसके द्वारा स्पांसर की गई यात्रा पर जा सकता है। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने दोषी डॉक्टरों के नाम अपने रजिस्टर से काट देने की सजा रखी है जिसके बाद कोई भी डॉक्टर कानूनी रूप से प्रैक्टिस नहीं कर सकता। इस समय एमसीआई उन 200 डॉक्टरों का नाम पता ढूंढने मेंऔरऔर भी

यह किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान टाइम्स समूह के बिजनेस अखबार मिंट के डिप्टी एडिटर स्तर के खास आदमी का मामला है। उनका नाम क्या है, इसे जानने का कोई फायदा नहीं। लेकिन उनके साथ घटा वाकया जानने से बीमा उद्योग का ऐसा व्यावहारिक सच हमारे सामने आता है जो साबित करता है कि इस उद्योग में निहित स्वार्थों का ऐसा नेक्सस बना हुआ है जिसका मकसद बीमा उद्योग या कंपनी का विकास नहीं, बल्किऔरऔर भी

हरियाणा के उपभोक्ता, सरकार और उद्योग महंगी बिजली के जबरदस्त कुचक्र में फंस गये हैं। बिजली कंपनियों का घाटा पिछले चार गुना बढ़ाकर पिछले 1400 करोड़ पर पहुंच गया है। राज्य सरकार अपना खजाना फूंक कर बाजार से दोगुनी अधिक कीमत में बिजली खरीद रही है। इसी को कहते हैं घर फूंक कर रोशन करना। कर्ज लेकर घी पीना। राज्य की बिजली कंपनियां बिजली की जगह घाटा बना रही हैं। बिजली क्षेत्र की यह बदहाली आने वालेऔरऔर भी

देश में अंग्रेजों के जमाने के रिवाजों व कानूनों को बदलने का मन बनने लगा है। पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार को भोपाल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट के दीक्षांत समारोह में पहनी जानेवाली ड्रेस को बर्बर औपनिवेश रिवाज बताते हुए उतार फेंका तो उसके एक दिन पहले गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक के प्लैटिनम जुबली समारोह में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश में वित्तीय क्षेत्र को चलानेवाले ज्यादातर कानून पुराने पड़औरऔर भी

देश के शेयर बाजारों में सूचीबद्ध 27 फीसदी कंपनियों में पिछले कई महीनों से कोई कारोबार नहीं हो रहा है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों के प्रवर्तक अपने शेयर पहले ही बेचकर निकल चुके हैं। लेकिन लाखों आम निवेशक इनमें से ऐसा फंसे हैं कि न उनसे उगलते बन रहा है और न ही निगलते। करोड़ों के इस गड़बड़झाले पर न तो सेबी का कोई ध्यान है और न ही कॉरपोरेट मामलात इसे तवज्जो दे रहा है। बॉम्बेऔरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर्स के बदनाम घोटाले में आंध्र प्रदेश सरकार की भी भूमिका रही है। यह बात भारतीय महालेखाकार (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की जा चुकी है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि राज्य सरकार ने कंपनी को विशाखापटनम के नजदीक 42.5 एकड़ जमीन महज 10 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से दी थी। जहां इस जमीन की कीमत 170 करोड़ रुपए बनती है, वहीं सरकार नेऔरऔर भी

पब्लिक इश्यू के दो प्रकार होते हैं निश्चित मूल्य वाला इश्यू प्रदाता कंपनी को स्वतंत्र रूप से निर्गम का मूल्य निर्धारण करने की अनुमति होती है। निर्गम मूल्य निर्धारण करने का आधार प्रस्ताव दस्तावेज़ में उल्लिखित होता है, जिसमें प्रदाता द्वारा निर्गम मूल्य को न्यायोचित ठहराने वाले गुणात्मक और मात्रात्मक कारकों के बारें में विस्तार से खुलासा होता है। इश्यू लाने वाली कंपनी के 20 प्रतिशत कीमत बैंड में (कैप में निर्धारित मूल्य, फ्लोर मूल्य से 20औरऔर भी

म्यूचुअल फंडों में निवेश के कई फायदे हैं। 1. पेशेवर प्रबंधन: म्यूचुअल फंडों में निवेश से आप अनुभवी और कुशल पेशेवरों की सेवाएं पा सकते हैं। म्यूचुअल फंडों से समिर्पत रिसर्च टीमें जुड़ी होती हैं, जो कम्पनी की निष्पादन क्षमता और सम्भावनाओं का विश्लेषण करती हैं और योजना के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त निवेश विकल्पों का चयन करती हैं। 2. विविधीकरण: म्यूचुअल फंड कई उद्योगों व क्षेत्रों की कम्पनियों में निवेश करते हैं। ऐसे विविधीकरणऔरऔर भी

शेयर, डिबेंचर या एफडी में किये गये सभी निवेश में जोखिम होता है। कम्पनी के निष्पादन, उद्योग, पूंजी बाजार या अर्थव्यवस्था की स्थिति के कारण शेयर का मूल्य नीचे जा सकता है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि जितने लम्बे समय के लिए निवेश किया जाता है, उतना ही कम जोखिम उसमें होता है। कम्पनियां ब्याज, मूलधन/बॉण्ड/जमा के भुगतान में दोषी हो सकती हैं। निवेश की ब्याज दर मुद्रास्फीति दर से कम हो सकती है, जिससे निवेशकों कीऔरऔर भी

1. ऋण बाज़ार क्या है? ऋण बाज़ार वह बाज़ार है जहां निश्चित आय या ब्याज वाली तरह-तरह की प्रतिभूतियां जारी की जाती हैं और खरीदी-बेची जाती है। ये प्रतिभूतियां अमूमन केंद्र व राज्य सरकार, नगर निगम अन्य सरकारी निकायों व वाणिज्यिक इकाइयों, जैसे वित्तीय संस्थाओं, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों  की तरफ से जारी की जाती हैं। इनमें सबसे अहम होते हैं केंद्र व राज्य सरकारों के बांड। सरकारें अपनी उधारी की व्यवस्था इन्हींऔरऔर भी