देश के कोयला खदानों के आवंटन में घोटाले की बात कोई नई नहीं है। कई महीने पहले शिवसेना के एक सांसद ने ब्योरेवार तरीके के संसद में बहस के दौरान सारा कच्चा चिट्ठा खोला था। जेडी-यू अध्यक्ष शरद यादव ने भी इस पर हल्ला मचाया था। बीजेपी तक ने इस पर अपने तेवर गरम कर लिए थे। लेकिन फिर न जाने क्या हुआ कि सभी नरम पड़ गए। गुरुवार को अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सीएजी की प्रारंभिक रिपोर्ट के हवाले खबर छाप थी कि कोयला ब्लॉक्स के आवंटन में 10.7 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है तो सारे विपक्ष को फिर कोयले की दलाली का मामला याद आ गया।
सुबह संसद शुरू हुई तो विपक्ष ने कोयले की खदानों में घोटालों की खबर पर हंगामा खड़ा कर दिया। राज्यसभा को इस हंगामे की वजह से दो बार स्थगित करना पड़ा। बीजेपी के नेता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि “इस देश में लूट राज है। भारतीय जनता पार्टी ने कई नियमों के तहत इस पर बहस करने की मांग की है।”
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कहा “यह 2जी घोटाले की तरह ही है। कोयला मंत्रालय को पिछले आठ साल में ज्यादातर तीन लोगों ने चलाया है जिनमे प्रधानमंत्री और वर्तमान मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल शामिल हैं।”
सीपीएम के के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सीएजी ने जो अनुमान पेश किया है उस पर जांच की ज़रुरत है ताकि यह तो पता लगे कि यह सही है या गलत। केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने कहा, “जब सीएजी की कोई रिपोर्ट हमारे पास आएगी, तब हम टिपण्णी करेंगे। और जहां तक यूपीए-2 की बात है तो जब से मैं कोयला मंत्री बना हूँ तब से कोई कोयला खदान नहीं आवंटित की गई है। अगर इसके पहले की कोई बात है तो इसका अध्ययन करने के बाद टिप्पणी करेंगे।”
लोकसभा में हंगामे के बाद परेशान वित्त मंत्री प्रणब मुख़र्जी ने कहा “यह एक रिपोर्ट का मसौदा है, रिपोर्ट नहीं। सामान्य प्रक्रिया के मुताबिक मसौदा रिपोर्ट आती है, उस पर मंत्रालय की सफाई दी जाती है। उसके बाद रिपोर्ट बनती है। फिर उसे संसद के पटल पर रखा जाता है।”
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक साल 2004 से 2009 के बीच सरकारी और निजी कंपनियों को कोयले के 155 ब्लॉक बिना नीलामी किए बांट दिए गए। इन कंपनियों में करीब 100 निजी कंपनियां हैं जिन्हें औने-पौने दामों पर कोयले के ब्लॉक बांटे गए। इन ब्लॉकों में अब तक एक-चौथाई काम भी शुरू नहीं हुआ है।
खैर शाम को सीएजी की तरफ से सफाई आ गई। असल में सरकार के मुताबिक सीएजी ने इस खबर को देखने के बाद प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा जिसके कुछ अंश बाद में मीडिया के लिए जारी कर दिए गए। सीएजी के मुताबिक, “यह पूरी चर्चा अभी एकदम आरंभिक अवस्था में है और यह हमारी पहली मसौदा रिपोर्ट का हिस्सा भी नहीं है। अखबार की खबर भ्रामक है।” इस पत्र में यह भी कहा गया कि कोयला मंत्रालय के जवाब से सीएजी के विचार बदल गए हैं और उसे, “प्राथमिक मसौदे के लीक होने से बहुत परेशानी हुई है क्योंकि यह लेखा परीक्षण रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है। इस तरह की खबरों से बहुत दुख पहुंचता है।” कोयला घोटाले का सच क्या है, इसका पता लगना बहुत मुश्किल है क्योंकि इसमें निश्चित रूप से विपक्ष भी शामिल होगा। अन्यथा अतीत में यह मसला संसद में उठाने के बाद वह चुप्पी नहीं साध लेता।