सरकार ने उवर्रकों के लिए पोषक तत्वों पर आधारित सब्सिडी स्कीम (एनबीएस) के तहत चालू वित्त वर्ष 2011 के लिए फॉस्फेटिक और पोटाशिक खाद का बेंचमार्क मूल्य बढ़ा दिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके मूल्य ज्यादा होने और बेंचमार्क मूल्य कम होने के चलते अभी तक उर्वरक कंपनियां इनके आयात के करार नहीं कर पा रही थीं। लेकिन सरकार ने अब यह मुश्किल हल कर दी है।
गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने आयातित डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और म्युरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) के बेंचमार्क मूल्य बढ़ाने का फैसला किया। नया बेंचमार्क मूल्य 1 अप्रैल 2011 से लागू माना जाएगा। यह फैसला आगामी खरीफ मौसम में इन उर्वरकों की देश में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के इरादे से किया गया है।
कैबिनेट ने डीएपी की मानक कीमत कीमत बढ़ाकर 612 डॉलर प्रति टन और एमओपी की दर 420 डॉलर प्रति टन कर दी है। अभी तक इनकी मानक दरें क्रमशः 580 डॉलर और 390 डॉलर प्रति टन थीं। सरकार ने इस फैसले के बाद उर्वरक कंपनियों को डीएपी के खुदरा मूल्य में 600 रुपए प्रति टन तक की वृद्धि की छूट मिल गई है। इसका मौजूदा मूल्य 10,750 रुपए प्रति टन है।
बता दें कि देश में हर साल 60 लाख टन डीएपी और 40 लाख टन एमओपी का आयात किया जाता है। यह आयात मुख्यतः अरब व दूसरे उत्तर अफ्रीकी देशों से किया जाता है। सरकार इन दो खादों पर निर्धारित बेंचमार्क या मानक मूल्यों के आधार पर उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी देती है। वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में फॉस्फेटिक और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी के लिए 33,500 करोड़ रुपए का प्रावधान है। लेकिन सब्सिडी की वास्तविक राशि उर्वरकों की बिक्री के हिसाब से बढ़ भी सकती है।
सरकारी बयान के मुताबिक, ‘‘बेंचमार्क में संशोधन से उर्वरक निर्माता व आयातक इन उर्वरकों और उर्वरक के लिए कच्चे माल का अधिक सुविधाजनक तरीके से आयात कर सकेंगे और इसका उत्पादन कर किसानों को उर्वरक उपलब्ध करा सकेंगे।’’ इससे किसान सस्ती दर पर उर्वरक प्राप्त कर सकेंगे।