प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को मंजूरी दे दी। यह योजना इसी साल खरीफ सीजन से लागू हो जाएगी। इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “यह एक ऐतिहासिक दिन है। मेरा विश्वास है कि किसानों के कल्याण से प्रेरित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाएगी।”
सरकार की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि किसानों के लिए समय-समय पर तमाम बीमा योजनाएं बनती रही हैं। लेकिन इसके बावजूद अब तक कुल कवरेज 23 प्रतिशत तक सीमित रहा है। सरकार का दावा है कि सभी योजनाओं की समीक्षा कर उनके अच्छे पहलू नई योजना में शामिल किए गए हैं। साथ ही इसमें कई नए पहलू भी जोड़े गए हैं। इस तरह यह योजना किसानों के हित के लिहाज से किसी भी पुरानी योजना से बेहतर है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों के अनुसार किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि काफी कम कर दी गई है। यह इस प्रकार है:
क्रम संख्या | फसल | किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार (बीमित राशि का प्रतिशत) |
1 | खरीफ | 2.0% |
2 | रबी | 1.5% |
3 | सालाना वाणिज्यिक व बागवानी फसलें | 5% |
अभी तक साल 2010 से चल रही संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में प्रीमियम अधिक हो जाने पर एक सीमा बंधी हुई है। इससे सरकार द्वारा वहन की जाने वाली प्रीमियम राशि कम हो जाती थी। नतीजतन किसान को मिलनेवाली दावा राशि भी अनुपातिक रूप से कम हो जाती थी।
मसलन, उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में धान की फसल के लिए 22 प्रतिशत एक्चुअरियल प्रीमियम था। किसान को 30,000 रुपए की बीमित राशि पर सीमा के कारण मात्र 900 रुपए और सरकार को 2400 रुपए प्रीमियम देना पड़ता था। लेकिन शत-प्रतिशत नुकसान की दशा में भी किसान को मात्र 15,000 रुपए की दावा राशि मिल पाती है।
वहीं, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 30,000 रुपए की बीमित राशि पर 22 प्रतिशत एक्चुअरियल प्रीमियम आने पर किसान मात्र 600 रुपए प्रीमियम देगा और सरकार 6000 हजार रुपए का प्रीमियम देगी। शत-प्रतिशत नुकसान की दशा में किसान को 30,000 रुपए की पूरी दावा राशि प्राप्त होगी। इस तरह इस मामले में किसान के लिए प्रीमियम 900 रुपए से कम होकर 600 रुपए हो जाएगा, जबकि दावा राशि 15000 रुपए के स्थान पर 30 हजार रुपए मिलेगी।
बीमित किसान अगर प्राकृतिक आपदा के कारण बोवनी नहीं कर पाता तो इस योजना में यह जोखिम भी शामिल किया गया है और उसे दावा राशि मिल सकती है।
साथ ही ओला, जलभराव और भू-स्खलन जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा। पुरानी योजनाओं के अंतर्गत अगर किसान के खेत में जल भराव हो जाता था तो किसान को मिलनेवाली दावा राशि इस पर निर्भर करती थी कि यूनिट आफ इंश्योरेंस (गांव या गांवों के समूह) में कुल नुकसान कितना है। इस कारण कई बार नदी-नाले के किनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुकसान के बावजूद किसानों को दावा राशि नहीं मिल पाती थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय हानि मानकर केवल प्रभावित किसानों का सर्वे कर उन्हें दावा राशि प्रदान की जाएगी।
फसल-बाद नुकसान को भी नई योजना में कवर किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक अगर फसल ख्रेत में है और उस दौरान कोई आपदा आ जाती है तो किसानों को दावा राशि मिल सकेगी।
योजना में टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा ताकि फसल कटाई/नुकसान का आकलन जल्दी और सही हो सके और किसानों को दावा राशि त्वरित रूप से दी जा सके। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम की जाएगी। फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्काल स्मार्टफोन के माध्यम से अप-लोड कराए जाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना को अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने बार-बार ट्विटर पर इसके बारे में संदेश भेजे हैं। उनके संदेशों का सार इस प्रकार है: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अब तक जितनी योजनाएं थीं उनकी विशेषताओं को तो समाहित करती ही है लेकिन जो कमियां थी, उनका प्रभावी समाधान देती है। अब तक की सबसे कम प्रीमियम दर, सरल टेक्नालॉजी जैसे मोबाइल फोन का उपयोग कर नुक़सान का त्वरित आकलन, निश्चित समय सीमा में पूरे दावे का भुगतान। आपदाओं के दायरे को बढ़ाया गया – जल भराव, फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान जैसी आपदाओं को सम्मिलित किया।