स्वाभाविक है

पहले दुनिया सिमटी हुई थी। इर्दगिर्द खास कुछ नहीं बदलता था तो लोग सुबह-सुबह नहा-धोकर एकाध घंटे पूजापाठ करते थे। अपने अंदर झांकते थे। अब दुनिया बढ़ते-बढ़ते ग्लोबल हो गई है तो एकाध घंटे अखबारों के जरिए बाहर झांकना जरूरी हो गया है।

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