किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसकी परख और कामकाज का विश्लेषण ज़रूरी है। दिक्कत यह है कि यह ज़रूरी काम कायदे से कैसे किया जाए? कंपनी के अतीत का विश्लेषण हम कर सकते हैं। उसके अब तक के वित्तीय प्रदर्शन की तहकीकात कर सकते हैं। उद्योग व बाज़ार की तुलना में उसके शेयर का मूल्यांकन कर सकते हैं। ये पहलू मात्रात्मक विश्लेषण से साफ हो जाते हैं। इनमें कंपनी पर चढ़े ऋण से जुड़ा ऋण-इक्विटी अनुपात और साल-दर-साल उसकी बिक्री व शुद्ध लाभ में हुई वृद्धि वगैरह-वगैरह शामिल हैं। मगर, कंपनी का भविष्य उसके कुशल प्रबंधन पर निर्भर होता है और इसी से उसके शेयर की आगे की गति तय होती है। कंपनी से जुड़े इस गुणात्मक पहलू का कैसे पता लगाया जाए? यह बेहद मुश्किल काम है और दरअसल कंपनियों में निवेश का यह सबसे बड़ा अपरिहार्य जोखिम है। अब तथास्तु में आज की कंपनी…
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