भारत दौर पर आए दुनिया के तीसरे सबसे बड़े अमीर और निवेश के महारथी वॉरेन बफेट ने कहा है कि उनकी भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर में कोई दिलचस्पी नहीं है। बता दें कि भारत का ऑटो बाजार दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में शुमार है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के अंत तक भारत दुनिया में कारों का छठा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा।
80 साल के वॉरेन बफेट ने बुधवार को प्रमुख बिजनेस चैनल सीएनबीसी टीवी-18 द्वारा आयोजित एक वार्ता में कहा, “ऐसा नहीं लगता कि मैं खुद इसमें (भारतीय ऑटो सेक्टर) में उतरूंगा। इस क्षेत्र में स्वामित्व का स्वरूप अच्छा-खास जमाजमाया है।” बफेट की यह बात नोट करने लायक है क्योंकि उनकी कंपनी बर्कशायर हैथावे ने चीन की कार निर्माता कंपनी बीवाईडी कंपनी लिमिटेड में 10 फीसदी इक्विटी लगा रखी है। हालांकि बीवाईडी रिचार्जेबल बैटरी ओर सेलफोन के पुर्जे भी बनाती है।
बफेट का पूरा साम्राज्य 20,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का है। जब उनके पूछा गया कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा तो उन्होंने इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। लेकिन उन्होंने भारतीय मूल के अपने सहयोगी अजित जैन की भूरि-भूरि तारीफ की। अजित जैन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथावे के री-इंश्योरेंस बिजनेस के प्रमुख हैं। बफेट का कहना था, “बर्कशायर हैथावे में उत्तराधिकार की स्पष्ट योजना है। हमने बस अभी तक इसकी घोषणा नहीं की है।”
इससे पहले कल जब बैंगलोर में बफेट से पूछा गया था कि क्या वे भारत के 6000 करोड़ डॉलर के आईटी उद्योग या सेमिकंडक्टर बिजनेस में निवेश करेंगे, तब उन्होंने कहा था कि वे उन्हीं उद्योगों को पसंद करते हैं जिनमें उनकी विशेषज्ञता है। उनका कहना था, “मैं सॉफ्ट ड्रिंक उद्योग या चुइंग गम उद्योग के बारे में सोचता हूं।” बता दें कि बफेट की कंपनी ने कोका-कोला में काफी निवेश कर रखा है। साथ ही 2008 से उन्होंने दुनिया की मशहूर चुइंग गम निर्माता कंपनी रिग्ले (Wrigley) में भी निवेश कर रखा है।
इस बीच बॉरेन बफेट भारत में हुए अपने स्वागत सत्कार से अभिभूत हैं। बफेट ने बुधवार की सुबह बैंगलोर में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा के साथ संक्षिप्त मुलाकात में कहा, ‘‘मैं यहां के आतिथ्य सत्कार से अभिभूत हूं। यहां मेरी सेवा अमेरिका से बेहतर ढंग से हुई है।’’ उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, ‘‘मैं यहां की सब चीजें उठा कर ले जाना चाहता हूं। मैं मुफ्त व्यापार में विश्वास रखता हूं।’’
बफेट ने कहा कि यह मेरी पहली भारत यात्रा थी। मैंने यहां पहला कदम बैंगलोर में रखा लेकिन यह देश में मेरा आखिरी कदम नहीं है। उन्होंने कहा कि जब मैं दोबारा 2030 में यहां आऊंगा तो 100 साल का हो चुका हूंगा। उन्होंने कहा, “जहां-जहां कुछ हो रहा है हम वहां होना चाहते हैं और यह ऐसी ही जगह है जहां बहुत कुछ हो रहा है।” बफेट ने इस मौके पर कर्नाटक में निवेश के अवसरों पर एक संक्षिप्त प्रजेंटेशन भी देखा।