ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज में निवेश की सलाह हमने सबसे पहले करीब नौ महीने पहले 15 जून 2010 को दी थी। उस वक्त यह शेयर बहुत उछलकूद मचा रहा था। महीने भर में ही 40 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 445 रुपए पर पहुंच चुका था। इस समय भी इसमें तेज हरकत है। 10 फरवरी को इसने दिसंबर तिमाही के नतीजे घोषित किए, तब इसका बंद भाव 493.95 रुपए था। उसके बाद करीब एक महीने में यह 14.44 फीसदी बढ़कर कल, 12 मार्च को 565.30 रुपए पर बंद हुआ है। इस दरमियान यह नीचे में 490 रुपए और ऊपर में 572.30 रुपए तक जा चुका है। पूरे 16.79 फीसदी की पेंग! कल हासिल किया गया 572.30 रुपए का भाव इसका 52 हफ्ते का नया उच्चतम स्तर है। न्यूनतम स्तर 324 रुपए है जो इसने 10 मई 2011 को हासिल किया था।
क्या है 1892 में ब्रिटिश भारत में बनी और उस औपनिवेशिक विरासत पर गर्व करनेवाली, अपने नाम के साथ ब्रिटेन जोड़कर रखनेवाली विदेशी स्वामित्व वाली इस कंपनी में, जो रह-रहकर इसकी बाजी हाथ से सरक जाती है? जी हां, इस कंपनी के साथ भले ही बॉम्बे डाईंग समूह और नुस्ली वाडिया का नाम जुड़ा हो, लेकिन तकनीकी रूप से इसके प्रवर्तक विदेशी हैं। 23.89 करोड़ रुपए की इक्विटी में सात विदेशी प्रवर्तकों का हिस्सा 50.96 फीसदी है। इन सात प्रवर्तकों में छह सिंगापुर में पंजीकृत कंपनियां हैं और एक खुद नुस्ली नेविले वाडिया हैं जिनके पास कंपनी के मात्र 2250 शेयर हैं। विनीता बाली करीब छह सालों से घर-घर तक बिस्किट से लेकर ब्रेड और पनीर जैसे विविध रूपों में पहुंची इस कंपनी की सेनापति हैं, सीईओ व प्रबंध निदेशक हैं।
लगता है कि ए ग्रुप का स्टॉक है। लेकिन हकीकत में बी ग्रुप में शामिल है। बीएसई-500 सूचकांक का हिस्सा है। लेकिन एफ एंड ओ सेगमेंट से बाहर है। इस पर बाकायदा 20 फीसदी की सर्किट सीमा भी लगी हुई है। फिलहाल कल इसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 500825) में 565.30 रुपए और एनएसई (कोड – BRITANNIA) में 567.05 रुपए पर बंद हुआ है। दिसंबर 2011 की तिमाही में कंपनी की बिक्री 15.45 फीसदी बढ़कर 1247.41 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 44.80 फीसदी बढ़कर 54.07 करोड़ रुपए हो गया।
कंपनी का दिसंबर तक के बारह महीनों का स्टैंड एलोन ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 13.88 रुपए है। ब्रोकरेज फर्म एचडीएफसी सिक्यूरिटीज का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 के अंत तक यह 16.6 रुपए पर पहुंच जाएगा और दो साल बाद वित्त वर्ष 2013-14 में 28.1 रुपए हो जाएगा। इस तरह दो साल बाद के ईपीएस को आधार बनाएं तो ब्रिटानिया का शेयर अभी 20.12 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि अभी के ईपीएस के आधार पर वह 40.73 के पी/ई पर चल रहा है। पिछले साल भर में दौरान इसका पी/ई अनुपात 30.92 से 50.42 की रेंज में डोलता रहा है।
असल में कंपनी को देश में गेहूं व चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन और अपेक्षाकृत कम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ मिला है। इनके दम पर वह दिसंबर 2011 की तिमाही में अपना सकल लाभ मार्जिन 33.50 फीसदी से बढ़ाकर 36.6 फीसदी और परिचालन लाभ मार्जिन 5.65 फीसदी से बढ़ाकर 7.72 फीसदी करने में कामयाब रही। एडेलवाइस के आंकड़ों के अनुसार कंपनी के ऊपर 618.83 करोड़ रुपए का ऋण है और उसका ऋण-इक्विटी अनुपात 2.08 है जिसे कतई अच्छा नहीं माना जा सकता। ऊपर से उसका ब्याज कवरेज अनुपात भी 4.48 है जो कंपनी की वित्तीय कमजोरी का संकेत देता है। फिर भी हो सकता है कि यह शेयर अगले दो सालों में 40-50 फीसदी बढ़ जाए। लेकिन हमारे-आप जैसे छोटे निवेशकों को इस लार्जकैप स्टॉक से बचना चाहिए और इसे बड़े निवेशकों के लिए छोड़ देना चाहिए।
कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 37,838 है। इसमें से 36,826 यानी 97.3 फीसदी एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के 13.84 फीसदी शेयर हैं। एफआईआई के पास उसके 12.61 फीसदी और डीआईआई के पास 17.25 फीसदी शेयर हैं। इन दोनों ही संस्थागत निवेशकों ने बीते साल भर में कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है। संस्थागत निवेशकों में इसके सबसे ज्यादा 5.24 फीसदी शेयर सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी के पास हैं। वैसे, साल भर पहले कंपनी में एलआईसी की शेयरधारिता इससे ज्यादा 5.34 फीसदी थी।