शेल कंपनियों की केंचुल छोड़ काले धन का नाग जाकर छिपा बिल में

केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से लेकर कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय की तरफ से शेल कंपनियों से जुड़ी जैसी जानकारियां सामने लाई जा रही हैं, उससे कालेधन को सफेद करने के मामले में उनकी भूमिका को लेकर उठा रहस्य गहराता जा रहा है। कॉरपोरेट मामलात मंत्रालय ने इसी रविवार को बाकायदा विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है है कि मंत्रालय के व्‍यापक अभियान के आधार पर दो साल या उससे भी अधिक समय तक निष्क्रिय रहने के कारण अब तक लगभग 2.24 लाख शेल कंपनियों को डी-रजिस्टर कर दिया गया है या उन्‍हें बंद कर दिया गया है।

डिफॉल्‍ट करनेवाली कंपनियों को बंद करने की कार्रवाई करने के बाद कानून के अनुसार उनके बैंक खातों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा 58,000 खातों से जुड़ी 35,000 कंपनियों के बारे में 56 बैंकों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर शुरुआती जांच से पता चला है कि नोटबंदी के बाद 17,000 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि जमा कराई गई थी और फि‍र उसे वापस निकाल लिया गया था। एक कंपनी का मामला उल्‍लेखनीय है जिसके खाते में 8 नवंबर, 2016 को शुरुआती बैलेंस ऋणात्‍मक था। इसी कंपनी ने नोटबंदी के बाद 2484 करोड़ रुपए जमा कराए थे और फि‍र उसे वापस निकाल लिया था।

बैंक खातों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने के अलावा  बंद कर दी गई इन सभी कंपनियों की चल व अचल संपत्तियों की बिक्री व ट्रांसफर पर तब तक के लिए पाबंदी लगाने की कार्रवाई भी की जा चुकी है जब तक कि उनके कामकाज की बहाली नहीं हो जाती है। राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे इस तरह के लेन-देन के पंजीकरण को नामंजूर करके इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करें।

मंत्रालय के मुताबिक, एक कंपनी के तकरीबन 2134 खाते होने के बारे में जानकारी मिली है। इस तरह की कंपनियों के बारे में मिली जानकारियों को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू), वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सहित प्रवर्तन विभाग के अधिकारियों के साथ साझा किया गया है, ताकि आगे और आवश्यक कार्रवाई की जा सके। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत छानबीन/ निरीक्षण/ जांच के लिए भी अनेक कंपनियों की पहचान की गई है और इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

कुल मिलाकर सरकार ने बताया है कि दो साल या उससे भी अधिक समय तक निष्क्रिय रहने के कारण अब तक लगभग 2.24 लाख कंपनियों को बंद कर दिया गया है। लगभग 3.09 लाख निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है जो 2013-14 से लेकर 2015-16 तक के तीन वित्त वर्षों की निरंतर अवधि के दौरान वित्तीय विवरण और/ या वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विफल रही कंपनियों के बोर्ड में थे। 3000 से अधिक अयोग्य निदेशकों में से प्रत्येक 20 से भी अधिक कंपनियों में निदेशक हैं, जो कानून के तहत निर्धारित सीमा से अधिक है।

संभावित अपराध से निपटने के लिए एसएफआईओ के निदेशक, अपर निदेशक या सहायक निदेशक को अधिनियम के तहत दंडनीय किसी भी धोखाधड़ी का दोषी प्रतीत होने पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए हाल ही में अधिकृत किया गया है।

वित्तीय विवरणों की छानबीन करने, लेखांकन मानक निर्धारित करने और दोषी प्रोफेशनलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने हेतु राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) नामक एक स्वतंत्र निकाय स्‍थापित करने के लिए आवश्‍यक कदम उठाए जा रहे हैं। नियामक तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्‍य से ‘पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस)’ स्थापित करने हेतु एक अत्‍याधुनिक सॉफ्टवेयर एप्‍लीकेशन विकसित करने के लिए  अलग से पहल की जा रही है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता से ऐसी गलत (डिफॉल्टिंग) कंपनियों के खिलाफ चलाए गए अभियान की निगरानी के लिए राजस्व सचिव और कॉरपोरेट मामलों के सचिव की संयुक्त अध्यक्षता में एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया है। इसके अलावा, 2013-14 से लेकर 2015-16 तक के तीन वित्त वर्षों की निरंतर अवधि के दौरान वित्तीय विवरण और/ या वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विफल रही कंपनियों के बोर्ड में शामिल निदेशकों को अयोग्‍य करार दिया गया है।

इसी तरह नियामक तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्‍य से ‘पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस)’ स्थापित करने हेतु एक अत्‍याधुनिक सॉफ्टवेयर एप्‍लीकेशन विकसित करने के लिए अलग से पहल की जा रही है। यह प्रणाली एसएफआईओ में स्‍थापित की जाएगी।

जानकारों का कहना है कि शेल कंपनियों का रजिस्ट्रेशन खत्म करके उनकी हरकतों को ट्रैस कर पाना बहुत मुश्किल हो गया है। लेकिन सरकार यहीं काम कर रही है। इससे लगता तो है कि वह कालेधन को पकड़ने के प्रति गंभीर है। लेकिन हकीकत में वह पूरी तरह लीपापोती में जुटी है ताकि कालेधन को पकड़ने का नाटक भी पूरा जो जाए और कालेधन का नाग ऐसी बिल में समा जाए कि उसे खींच पाना नामुमकिन हो जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *