शेयर बाजार के बढ़ने का देश में गरीबी या बेरोज़गारी से कोई ताल्लुक नहीं है। उसका खास रिश्ता देश के जीडीपी और उसमें भी मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के विकास से होता है। बैंकों की बैलेंस शीट पुराने ऋणों को राइट-ऑफ और एनपीए को एनकेन प्रकारेण घटाकर चमका दी गई है। यह भी सच है कि इधर कई सालों से सरकार का ज़ोर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, रेलवे और डिफेंस क्षेत्र को मजबूत करने पर है। इंजीनियरिंग व कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में लगी कुछ कंपनियों को बड़े-बड़े सरकारी ऑर्डर मिल रहे हैं। इनको पम्प, वायर, स्टील ट्यूब, पाइप व सीमेंट तक सप्लाई करनेवाली कंपनियों का अच्छा विकास हो सकता है, जिसके बल पर उनके शेयर लगातार बढ़ते रह सकते हैं। लेकिन शेयर बाज़ार की तेज़ी अंततः मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की मजबूती पर टिकी है। वहां अगर बराबर अच्छा व मजबूत विकास नहीं हुआ तो तेज़ी का गुब्बारा कभी भी फट सकता है। अब मंगलवार की दृष्टि…
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