जल्दी ही एक हज़ार रुपए से ज्यादा के सारे सरकारी लेनदेन इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जाने लगेंगे। यही नहीं, स्कूल अध्यापकों, आंगनवाड़ी कर्मियों और आशा (एक्रिडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट) कर्मचारियों की तनख्वाह भी सीधे उनके बैंक या पोस्ट ऑफिस खाते में जमा की जाएगी। यह कुछ सिफारिशें हैं आधार से जुड़े एकीकृत भुगतान तंत्र पर बने टास्क फोर्स की। टास्क फोर्स का मानना है कि इससे सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है।
बीते साल सितंबर में यूनीक आइडेंटी कार्यक्रम (यूआईडीएआई) के प्रमुख नंदन निलेकणी की अध्यक्षता में इस टास्क फोर्स का गठन किया गया था। टास्क फोर्स ने गुरुवार को अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को सौंप दी। वित्त मंत्री ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट को सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया है और कहा है कि इस रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा कि आधार की सुविधा से युक्त ई-भुगतान व्यवस्था से न सिर्फ तय समय पर सही लाभाथियों को सीधे भुगतान भेजने में मदद मिलेगी, बल्कि इस पूरी प्रक्रिया में कमय, परिचालन खर्च और जानकारी के गैर-जरूरी लोगों तक पहुंचने से रोकने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और अनावश्यत देरी को भी कम करने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इस पायलट परियोजना को उन्नत बनाया जाएगा और इसे अधिक से अधिक राज्यों व शहरों में लागू किया जाएगा। अभी तक पायलट परियोजना को मुख्य रूप से एलपीजी, कैरोसिन, उर्वरक और मनरेगा जैसी योजनाओं में लागू किया गया है। गुरुवार की बैठक में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश, खा़द्य व उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री के वी थॉमस, रसायन व उर्वरक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना के अलावा विभिन्न विभागों व मंत्रालयों के सचिवों के साथ ही वित्त मंत्रालय और योजना आयोग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
इससे पहले यूआईडीएआई और टास्क फोर्स के अध्यक्ष नन्दन निलेकणी ने अंतिम रिपोर्ट सौंपते वक्त कहा कि सभी जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक भुगतान व्यवस्था के इस्तेमाल से शासन प्रणाली में रणनीतिक बदलाव लाया जा सकता है। टास्क फोर्स में यूआईडीएआई के चेयरमैन के अलावा वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग, वित्तीय सेवाओं, उर्वरक, पेट्रोलियम, कृषि, ग्रामीण विकास और खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के सचिव भी शामिल रहे हैं।