एयरलाइन कंपनियों को उड़ान के रद्द होने या यात्रा की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण यात्रियों को हुई असुविधा के लिए उन्हें नवंबर महीने में 49.66 करोड़ रुपए का मुआवजा देना पड़ा है। यह जानकारी सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई है।
जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार अंतिम समय में उड़ान रद्द होने के कारण 7500 यात्रियों को 33.46 लाख रुपए दिए गए, वहीं टिकट होने के बावजूद विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं देने के कारण 545 यात्रियों को माह के दौरान 16.20 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया। आंकड़ों के मुताबिक इसके अलावा 70,698 से अधिक यात्रियों को उड़ान भरने में देरी के कारण हवाई अड्डे पर इंतजार करने के लिए बाध्य किया गया।
विमानों में चढ़ने देने की इजाजत नहीं देने या अंतिम समय में उड़ान रद्द होने के सर्वाधिक मामले जेट एयरवेज की सस्ती उड़ान सेवा जेट लाइट में देखने को मिले। इसमें जहां 425 यात्रियों को यात्रा की अनुमति नहीं दी गई वहीं उड़ान रद्द होने के कारण 2862 यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आंकड़ों के अनुसार कंपनी ने यात्रियों को बतौर मुआवजा 12.12 लाख रुपए दिए।
बहरहाल, माह के दौरान सर्वाधिक कठिनाई स्पाइस जेट के यात्रियों को हुई। विमान परिचालन में देरी के कारण 29,863 यात्रियों को या तो हवाई अड्डे पर इंतजार करना पड़ा या फिर उन्हें दूसरे विमान से गंतव्य तक भेजा गया।
