डाटाविंड से करार जारी, आकाश-दो अप्रैल तक

सस्ते टैबलेट लैपटॉप ‘आकाश’ के लिए कनाडा की कंपनी डाटाविंड के साथ करार जारी रहेगा। कंपनी पहली खेप के लिए निर्धारित एक लाख में से बाकी बचे सत्तर हजार टैबलेट के अपग्रेडेड वर्जन उपबल्ध कराएगी। अपग्रेडेड वर्जन ‘आकाश-दो’ अप्रैल महीने तक उपलब्ध होगा। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल सोमवार को राजधानी दिल्ली में संवाददाताओं को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि आकाश की मांग बहुत अधिक है। हम सभी कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में छात्रों तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहते हैं। कई राज्यों ने इसकी मांग की है। आकाश में कई समस्याएं आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “आकाश के पहले प्रारूप के बारे में छात्रों व अन्य वर्गों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर इसमें सुधार किए जा रहे हैं और ‘आकाश दो’ इस वर्ष अप्रैल तक उपलब्ध होगा। बता दें कि डाटाविंड ने अभी तक एक लाख टैबलेट की अपूर्ति करने के सौदे में से तीस हजार टैबलेट की ही आपूर्ति की है। कंपनी हालांकि इसकी वाणिज्यिक बुकिंग कर रही है।

इस संबंध में पूछे गए कई सवालों के उत्तर में सिब्बल ने कहा कि पहली खेप के तहत शेष सत्तर हजार टैबलेट के उन्नत संस्करण (आकाश दो) की आपूर्ति की जाएगी। इसकी आपूर्ति डाटाविंड करेगी। शुरू में व्यावहारिक परीक्षण के लिए एक लाख ‘आकाश’ बनाने का निर्णय किया गया था लेकिन इससे मकसद हल नहीं होनेवाला है। गौरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आने वाले वर्षों में 22 करोड़ आकाश की जरूरत बताई है। इतनी संख्या में आकाश के निर्माण के लिए नए सिरे से निविदा जारी करने और डाटाविंड के अलावा अन्य को भी मौका दिए जाने की बात कही गई है।

मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एन के सिन्हा ने सोमवार को कहा कि निविदा प्रक्रिया की तैयारी चल रही है। आकाश की बैटरी, प्रोसेसर और आर्किटेक्चर के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई थी। इसमें सुधार किया जा रहा है। बैटरी की क्षमता में जहां डेढ गुना वृद्धि की गई है, वहीं प्रोसेसर को 366 मेगा हर्ट्ज से बढ़ाकर 700 मेगा हर्ट्ज कर दिया गया है। इसके आर्किटेक्चर को भी बेहतर बनाया गया है जबकि कीमत 2276 रूपये ही रखी गयी है। अपग्रेडेड आकाश की क्षमता में पहले की तुलना में तीन गुना वृद्धि की गई है, साथ ही इस पर यू-ट्यूब से भी डाउनलोड किया जा सकता है। इसकी मेमोरी में भी वृद्धि की गई है।

बता दें कि आकाश को आईआईटी राजस्थान ने विकसित किया है। इसे बनाने का अनुबंध दो अनिवासी भारतीयों – सुनीत तुली और राजा तुली की कनाडा से शुरू की गई कंपनी डाटाविंड को दिया गया है। डाटाविंड के दफ्तर मांट्रिएल (कनाडा) के अलावा लंदन और अमृतसर में भी हैं।

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