इंटरनेट पर विदेशी मुद्रा या फॉरेक्स में अवैध ट्रेडिंग करानेवाले पोर्टल धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले तक इकनॉमिक टाइम्स से लेकर हिंदू बिजनेसलाइन जैसे तमाम प्रमुख आर्थिक अखबारों की साइट पर आईफॉरेक्स (iForex) जैसी फर्मों के आकर्षक विज्ञापन दिख जाते थे। लेकिन अब वे एक सिरे से गायब हो गए हैं। यह असर है रिजर्व बैंक द्वारा पहले 21 फरवरी और फिर 7 अप्रैल 2011 को जारी चेतावनी का। लेकिन लंबे समय से चल रहे इस झांसे में जो लोग लाखों की रकम गवां चुके हैं, उनकी रकम मिलने की कोई गुंजाइश नहीं है।
रिजर्व बैंक ने अपनी तरफ से बस इतना स्पष्ट किया है कि 1999 के विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून, फेमा के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट पोर्टलों के जरिए विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग के लिए रकम देने की इजाजत नहीं है। यह कानून भारतीयों को घरेलू या विदेशी बाजार में विदेशी मुद्रा में ट्रेड करने की भी इजाजत नहीं देता। कानूनन वे सेबी द्वारा मान्य स्टॉक एक्सचेंजों में केवल करेंसी फ्यूचर्स की ट्रेडिंग कर सकते हैं।
बता दें कि कई महीने पहले अर्थकाम ने भी इस संबंध में रिजर्व बैंक को ई-मेल भेजकर पूछा था कि क्या इस तरह इंटरनेट पर हो रही विदेशी मुद्रा की ट्रेडिंग देश के कानूनों के अनुरूप है? रिजर्व बैंक ने खुद भी इस तथ्य को संज्ञान में लिया कि कैसे गांरटीड ऊंचे रिटर्न के साथ तमाम पोर्टल लोगों को लुभा रहे हैं। ऐसी कई कंपनियों ने तो एजेंट तक बना रखे थे जो लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें फॉरेक्स ट्रेडिंग व अपनी निवेश स्कीमों में फंसाते थे।
लेकिन फरवरी में रिजर्व बैंक की तरफ से स्पष्टीकरण जारी कर देने के बाद भी फॉरेक्स ट्रेडिंग का यह अवैध धंधा जारी रहा। iForex ही नहीं, XTB, AvaFx, अल्पारी और FXCentral जैसी अंतरराष्ट्रीय फर्में आम लोगों को फंसाती रहीं। यहां तक कि इन फर्मों ने हिंदी तक बोलनेवाले लोग रख रखे थे जो वित्तीय जगत की सामान्य जानकारी न रखनेवालों को बिना कोई जोखिम उठाए लाखों कमाने का जालबट्टा समझा देते थे।
आईफॉरेक्स तो कहती थी कि जैसे ही आप उसके पास रजिस्ट्रेशन कराएंगे, फौरन आपके ई-मेल पर फॉरेक्स ट्रेडिंग की सारी जटिलता को खोलनेवाला लेख पीडीएफ फाइल में मिल जाएगा। हालांकि हकीकत में होता ऐसा नहीं था। आपका नंबर मिलते ही फौरन आईफॉरेक्स के यहां से कोई आपसे संपर्क करता था और बोलता था कि अपने क्रेडिट कार्ड से पहले मार्जिन की रकम खाते में डाल दीजिए। तब आगे का काम हो सकता है। यह रकम भी रुपए में नहीं, डॉलर या यूरो वगैरह में जमा करानी होती थी। जब उनसे पूछा जाता कि उनके यहां रुपए के साथ जोड़कर डॉलर, यूरो, पौंड या येन में ट्रेडिंग क्यों नहीं होती तो वे बताते कि हम तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं। इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक के नियम भी हम पर लागू नहीं होते।
बहुत से लोग तुरंत कमाई के चक्कर में इनके झांसे में आ जाते। इस स्थिति को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने अगले चरण में बैंकों को हिदायत दे दी कि वे विदेशी मुद्रा में ऐसा कोई भुगतान अपने कार्डधारक के खाते से न होने दें। ये फर्में लोगों के क्रेडिट कार्ड ही नहीं, डेबिट कार्ड तक से भुगतान लेने की कोशिश करती थी। यहां तक कि मार्जिन की रकम लेने के लिए व्यक्तियों से लेकर प्रॉपराइटरी फर्मों के नाम से बैंकों की विभिन्न शाखाओं में खाते खुलवाए गए।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को अलग से सर्कुलर जारी किया और हिदायतच दी कि वे ऐसे सौदों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें। ग्राहकों को बताएं कि वे जो कुछ कर रहे हैं, वो फेमा कानून का उल्लंघन है और इसके लिए उन्हें सजा भी हो सकती है। अगर वे चाहें तो करेंसी फ्यूचर्स व ऑप्शन में देश के स्टॉक एक्सचेंजों के जरिए ट्रेडिंग कर सकते हैं। इसके अलावा देश में विदेशी मुद्रा में किसी भी तरह की ट्रेडिंग इजाजत नहीं है। लेकिन रिजर्व बैंक के दोनों ही संदेशों में कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि वह लोगों को फंसानेवाले पोर्टल्स के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकता है या कर रहा है।
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