मिड व स्मॉल कैप का रंग चोखा क्यों!

यह कोई अप्रैल फूल की बात नहीं है। बाजार जब 5200 पर था, तभी मुझे यकीन था कि यह 6000 की तरफ बढ़ेगा और इसने ऐसा कर दिखाया। मार्च काफी घटनाप्रधान महीना रहा, जब बजट और जापान ने बाजार को घेरे रखा। बजट ने माहौल बनाया तो जापान की आपदा ने शॉर्ट के सौदागरों को खेलने का मौका दे दिया। लेकिन बाजार जब अपना रुख पलटकर 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) के पार चला गया तो शॉर्ट सौदे करनेवाले फंस गए।

अभी जो स्थिति दिख रही है, उसमें ज्यादातर शॉर्ट सौदे खत्म हो चुके हैं, काटे जा चुके हैं। लेकिन लांग सौदे भी ठीकठाक मात्रा में नहीं बन पाए हैं। एक तरह का खालीपन है। इसलिए बाजार को फिलहाल 5640 तक गिरना है ताकि नई शॉर्ट पोजिशन बन सके। इसी के बाद वो तेजी से बढ़कर नई ऊंचाई पकड़ेगा और ऐसा तीन महीने बाद जुलाई में संभव होता नजर आ रहा है।

अप्रैल में दो अहम घटनाएं होनी हैं। एक तो कल ही हो जाएगी, जबकि सीबीआई 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर 80,000 पन्नों की अपनी चार्जशीट दाखिल करेगी। यह चार्जशीट बाजार के कुछ बड़े फाइनेंसरों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए हमें इस घटना का प्रभाव सावधानी से आंकना होगा। महीने की दूसरी घटना ऐसी है जिससे बाजार के मूड और निवेश के पैटर्न का निर्धारण होता है। इनफोसिस के बोर्ड की बैठक 15 अप्रैल 2011 को होनी है जिसके बाद कंपनी के सालाना व चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणा की जाएगी। इस स्टॉक में अच्छा निवेश करनेवाले कुछ अंदर के लोगों का कहना है कि इनफोसिस इस बार निराश कर सकती है।

संक्षेप कहूं तो इस महीने कयासबाजी से बचें, सट्टेबाजी से दूर रहें। सीएनआई एक बार फिर निफ्टी के अनुमान के बारे में सही साबित हुई है। इस दौर को बी ग्रुप के शेयरों को बटोरने में इस्तेमाल करें क्योंकि फंडिंग में ढील से यह सेक्टर अनुमान से ज्यादा रफ्तार से बढ़ेगा। इसका संकेत आज ही मिल गया जब सेंसेक्स व निफ्टी के फ्लैट रहने के बावजूद मिड कैप सूचकांक 1.59 फीसदी और स्मॉल कैप सूचकांक 2.23 फीसदी बढ़ गया।

इसका कारण यह है कि ऑपरेटर अपना नुकसान ए ग्रुप से नहीं, बी ग्रुप से ही पूरा कर सकते हैं क्योंकि बी ग्रुप के शेयरों में ए ग्रुप की बनिस्बत ज्यादा आसानी से धांधली की जा सकती है। और, हमारे ऑपरेटर इनसाइडर ट्रेडिंग का हल्का-सा भी आभास दिए बगैर भावों को मनचाहा नाच नचाने में उस्तादी हासिल कर चुके हैं। नियामक संस्था, सेबी तो हमेशा छोटी मछलियों पर ही हाथ मार पाती हैं। कमाल की बात है कि हर कोने से मार कर रही बड़ी मछलियों पर कभी उसका ध्यान ही नहीं जाता।

बाजार से इस दौर में क्या चुनना, क्या खरीदना है, इसे आप सभी अच्छी तरह जानते हैं। इस मायने में आपको किसी दिशा या निर्देश की जरूरत नहीं है। केवल एक बात मुझे लगती है कि आपके भीतर बाजार में छलांग लगाने का विश्वास कब आएगा, इसे केवल समय ही बता सकता है। आशा करता हूं कि आप दोबारा गलत समय पर बाजार में एंट्री नहीं मारेंगे।

ज्ञान का एकमात्र स्रोत है अनुभव जो किताबों से भी मिलता है और व्यवहार से भी।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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