भारतीय रेल ने नए वित्त वर्ष 2011-12 में 57,630 करोड़ रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है। यह किसी एक साल में रेलवे का अब तक का सबसे बड़ा आयोजना खर्च है। इस खर्च में से 20,000 करोड़ रुपए वित्त मंत्रालय से बजटीय सहयोग के रूप में मिलेंगे। भारतीय रेल अपने आंतरिक स्रोतों से 14,219 करोड़ रुपए लगाएगी। डीजल पर सेस या अधिभार से 1041 करोड़ रुपए मिलेंगे। निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) परियोजनाओं के जरिए बाहरी स्रोतों से 1776 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे।
रेल मंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 का रेल बजट पेश करते हुए यह जानकारी दी। उनका कहना था कि इसके बाद बची 20,594 करोड़ रुपए की रकम भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) द्वारा बाजार से उधार के रूप में जुटाई जाएगी। उन्होंने बताया कि आईआरएफसी साल भर में आमतौर पर 9000-10,000 करोड़ रुपए जुटाता रहा है। लेकिन अगले वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ रुपए वह भारतीय रेल के लिए टैक्स-फ्री बांडों से जुटाएगा। इन बांडों की परिपक्वता अवधि क्या होगी और इन पर ब्याज की दर कितनी होगी, इसका ब्यौरा बाद मे तैयार किया जाएगा। वैसे, अमूमन आईआरएफसी के टैक्स-फ्री बांडों पर ब्याज की दर 6 से 7 फीसदी के बीच रहती है।
आयोजना व्यय में से 9583 करोड़ रुपए नई रेल लाइनें बिछाने पर, 5406 करोड़ रेल लाइनों को दोहरा करने पर और 2470 करोड़ रुपए गेज परिवर्तन पर खर्च किए जाएंगे। 13,820 करोड़ रुपए रोलिंग स्टॉक खरीदने के लिए रखे गए हैं। इम मदों पर कुल खर्च बनता है 31,279 करोड़ रुपए। आयोजना व्यय के बाकी 26,351 करोड़ रुपए कहां खर्च होंगे, इसका खुलासा रेल मंत्री के भाषण से नहीं होता।
ममता बनर्जी ने स्वीकार किया कि भारतीय रेल इस समय बहुत कठिन दौर से गुजर रही है। साल 2009-10 काफी चुनौती भरा रहा। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के चलते कर्मचारियों का खर्च 97 फीसदी बढ़ गया। बता दें कि रेलवे के कुल कर्मचारियों की संख्या करीब 14 लाख है। रेल मंत्री का कहना था कि छठें वेतन आयोग के चलते भारतीय रेल को पूरी 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) के दौरान 73,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है। इसके बावजूद रेलवे ने भारत सरकार को लाभांश दिया।
इन सारी वजहों से भारतीय रेल का परिचालन अनुपात 2009-10 में 95.3 फीसदी रहा है। इसका मतलब यह हुआ है कि रेल ने औसतन 100 रुपए कमाने के लिए 2009-10 में 95.3 रुपए खर्च किए थे। रेल मंत्री ने कहा कि अगर छठे आयोग के हिसाब से एरियर न दिए गए होते तो ज्यादा वेतन व पेंशन के बावजूद परिचालन अनुपात 84 फीसदी पर आ जाता है। इसमें भी अगर वेतन व पेंशन का असर निकाल दिया जाए तो यह अनुपात घटकर 74.1 फीसदी पर आ जाता।
उन्होंने कहा कि इस तरह के खर्चों और प्रतिकूल हालात का सामना रेलवे को 2010-11 में भी करना पड़ा है। 1500 करोड़ का नुकसान ट्रेनों की आवाजाही में व्यवधान से हुआ है। 2000 करोड़ रुपए का नुकसान लौह अयस्क के निर्यात पर बंदिश की वजह से उठाना पड़ा है। फिर भी वित्त वर्ष, 2010-11 भारतीय रेल की सकल आय का संशोधित अनुमान 94,742 करोड़ रुपए का है, जो बजट अनुमान से 177 करोड़ रुपए अधिक है। खर्च के पक्ष की बात करें तो डीजल व बिजली के महंगे होने और अधिक वेतन भत्तों वगैरह के चलते 5700 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ गया। कुल मिलाकर 2010-11 में भारतीय रेल का परिचालन अनुपात 92.1 फीसदी रहा है। ममता ने दावा किया कि अगर वेतन व पेंशन का अतिरिकत बोझ न होता तो यह अनुपात 72.8 फीसदी रहा होता।
नए वित्त वर्ष 2011-12 में 99.30 करोड़ टन की माल ढुलाई और यात्रियों में 6.4 फीसदी वृद्धि के आधार पर रेल मंत्री ने 1,06,239 करोड़ रुपए की सकल प्राप्तियों का अनुमान लगाया है। बता दें कि पहली बार रेलवे की आय एक लाख करोड़ रुपए के पार जाएगी। सामान्य खर्चे 73,650 करोड़ रुपए के रहेंगे जो 2010-11 के संशोधित अनुमान से 9.9 फीसदी ज्यादा हैं। अन्य सभी खर्चों के असर को शामिल करने के बाद ममता बनर्जी का कहना है कि 2011-11 में रेलवे का परिचालन अनुपात 91.1 फीसदी रहेगा। यानी, हमारी रेल मात्र 8.9 फीसदी के मार्जिन पर काम करेगी।
बाकी कुछ फुटकर बातें। भारतीय रेल की तरफ से दिल्ली-मुबई रूट पर जापान की मदद से एक स्टडी करवाई जा रही है जिसका मकसद है कि इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी जाए। बाद में ऐसा ही अध्ययन मुंबई-कोलकाता, चेन्नई-बैंगलोर, दिल्ली-जयपुर और अहमदाबाद-मुंबई के रूट के लिए भी किया जाएगा।
भारतीय रेल गो इंडिया नाम का स्मार्ट कार्ड प्रायोगिक स्तर पर शुरू करेगी। इस कार्ड के जरिए यात्री लोकल ट्रेनों से लेकर लंबी दूरी के ट्रेन टिकट तक ले सकेंगे। इसका इस्तेमाल बुकिंग काउंटर से लेकर इंटरनेट से टिकट खरीदने तक में किया जा सकता है। हां, यह तो आपको पता ही होगा कि इस साल रेल मंत्री ने न तो यात्री किराए और न ही मालभाड़े में कोई वृद्धि की है।
ट्रेनों के टिकट इंटरनेट से बुक कराने के क्रिस (सेंटर फॉर रेलवे इनफॉरमेशन सिस्टम्स) ने एक नया पोर्टल तैयार कर लिया है। इसे जल्दी ही लांच कर दिया जाएगा। इस पोर्टल से एसी क्लास का टिकट बुक कराने का शुल्क 10 रुपए और अन्य क्लास का 5 रुपए होगा। अभी यह शुल्क क्रमशः 20 और 10 रुपए है। साथ ही हावड़ा-राजधानी एक्सप्रेस में इंटरनेट एक्सेस का प्रावधान प्रायोगिक स्तर पर किया जा रहा है।
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