अमेरिका की रुचि भारतीय कृषि में, ग्रीन के बाद एवरग्रीन रिवोल्यूशन

ग्रीन रिवोल्यूशन सीधे-सीधे भारत में हरित क्रांति के रूप में स्वीकार हो गई और कई दशकों तक उसका असर भी देखा गया, पर एवरग्रीन रिवोल्यूशन को सदाबहार क्रांति कहना शायद मुश्किल होगा। लेकिन भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विश्व में खाद्य सुरक्षा हासिल के लिए ग्रीन के बाद अब एवरग्रीन रिवोल्यूशन की पेशकश की है। उन्होंने राजधानी दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “भारत व अमेरिका में कृषि सहयोग के लिए ग्रीन रिवोल्यूशन की तर्ज पर हम एक नई भागीदारी एवरग्रीन रिवोल्यूशन के नाम से शुरू कर रहे हैं जो दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाएगी।”

इस मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्पष्ट किया कि इस भागीदारी के तहत दोनों देश मौसम व फसलों की भविष्यवाणी के बारे में अधिकतम सहयोग करेंगे। कल भी ओबामा ने मुंबई में सेंट जेवियर्स कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा की तलाश में लगे देशों के लिए मॉडल का काम कर सकता है। बता दें कि भारत और अमेरिका ने मार्च 2010 में कृषि और खाद्य सुरक्षा में सहयोग करने के सहमति-पत्र (एमओयू) पर बाकायदा हस्ताक्षर किए थे।

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आउटसोर्सिंग के संदर्भ में साफ किया कि भारत कहीं से भी अमेरिकी नौकरियां नहीं छीन रहा। यहां तक कि ओबामा ने भी कहा कि भारत के साथ हो रही कारोबारी सहयोग से अमेरिका में 50,000 नई नौकरियां पैदा होंगी। प्रधानमंत्री का कहना था, “भारत अमेरिका से नौकरियां नहीं छीनता, बल्कि आउटसोर्सिंग से अमेरिका में उत्पादक क्षमता और उत्पादकता को सुधारने में मदद मिली है।”

इस मौके पर भारत व अमेरिका के बीच टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और व्यापार व निवेश जैसे मसलों पर आपसी सहयोग बढ़ाने की नई पेशकश की गई। दोनों देशों के नेताओं ने कहा कि उनका ध्यान अपने-अपने देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और देशवासियों का जीवन-स्तर सुधारने पर रहेगा।

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