कितनी विचित्र बात है कि जिस उल्लू को हम भारतीय लोग देवी लक्ष्मी की सवारी मानते हैं, उसी की जान को हमारे ही कुछ भाई-बंधुओ के चलते खतरा पैदा हो गया है। इस पवित्र पक्षी को भी हम अंधविश्वास और स्वार्थ के चलते मारने से नहीं हिचकते। उल्लू के अंगों के दवा के तौर पर गलत उपयोग और तंत्र-मंत्र के लिए किए जा रहे अनियंत्रित अवैध व्यापार के कारण भारत में यह जीव गंभीर खतरे में है। यह जानकारी हाल ही में वन्यजीव विभाग की एक रिपोर्ट में दी गयी है।
ट्रैफिक इंडिया में प्रकाशित डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वन्य-जीव व्यापार निगरानी नेटवर्क और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रिपोर्ट में बताया गया है कि काला जादू और तंत्र-मंत्र में अंधविश्वास के कारण उल्लू विलुप्त होने की कगार पर है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के जीव विज्ञानी अबरार अहमद और समीर सिन्हा ने ‘इम्परेल कस्टोडियन ऑफ द नाइट’ नामक इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में परियोजना पर्यवेक्षक के तौर पर बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के सलाहकार डॉक्टर असद रहमानी शामिल थे।
उल्लुओं के व्यापार को उजागर करने के लिए पूरे देश भर में वर्ष 1998 से लेकर 2008 तक के अध्ययन और जांच को शामिल किया गया है। बीएनएचएस ने उल्लुओं के शिकार और उसके अंगों के अवैध व्यापार पर सरकार से कठोरता से रोक लगाने का आग्रह किया है।