सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन बिजली ट्रांसमिशन से जुड़े अपने टावरों की बची जगह टेलिकॉम कंपनियों को लीज पर देने जा रही है। इससे उसे बिना कुछ अतिरिक्त खर्च किए नई आय मिलने लगेगी। इसलिए अब कंपनी का मूल्यांकन नए सिरे से हो सकता है और उसके शेयरों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकती है।
कंपनी की इस योजना को उसके निदेशक बोर्ड ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यह जानकारी खुद कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एस के चतुर्वेदी ने दी है। उनके मुताबिक पावर ग्रिड के टावरों में से 80 फीसदी का इस्तेमाल टेलिकॉम, खासकर मोबाइल कंपनियों को लीज पर देने में किया जा सकता है। बता दें कि पावर ग्रिड के पास अभी लगभग 1.50 बिजली ट्रांसमिशन टावर हैं जिनमें से करीब 70 फीसदी ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में हैं।
कंपनी चेयरमैन के मुताबिक 1.20 लाख टावरों को चिह्नित किया गया है जो हाई वोल्टेज करंट के साथ टेलिकॉम तरंगों को भी प्रेषित कर सकते हैं और इससे एक दूसरे की क्वालिटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनी का कहना है कि इस समय देश में हर महीने 1.40 करोड़ से 1.50 करोड़ नए मोबाइल उपभोक्ता जुड़ रहे हैं। इसलिए मोबाइल कंपनियों को अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए बराबर नए-नए टावरों की जरूरत पड़ती है।
एक टेलिकॉम टावर 10-15 लाख रुपए का पड़ता है। लेकिन टेलिकॉम कंपनियां अगर पावर ग्रिड के टावर लीज पर ले लेगी तो उन पर इनकी लागत का बोझ कम हो जाएगा। बता दें कि शुक्रवार को पावर ग्रिड का शेयर बीएसई में 101.85 रुपए पर बंद हुआ है। सप्तांह पर कंपनी के चेयरमैन का बयान आने के बाद बाजार आज पहली बार खुलेगा। इसलिए इसके असर से पावर ग्रिड कॉरपोरेशन का शेयर अच्छी-खासी बढ़त ले सकता है। यह ए ग्रुप का शेयर है, इसलिए उस पर कोई सर्किट लिमिट नहीं है।