देश के कई हिस्सों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब तक पहुंच जाने की अकुलाहट के बीच सुकून की खबर यह है कि मानसून अनुमान से दो दिन पहले ही दस्तक देने वाला है। मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण-पश्चिम मानसून के बादल 30 मई को केरल में प्रवेश कर जाएंगे। पुणे स्थित राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के निदेशक डी शिवानंज पई का कहना है कि यूं तो केरल में बारिश शुरू हो चुकी है। लेकिन मानसून से संबंधित कुछ और संकेतों के स्पष्ट हो जाने का इंतजार कर रहे हैं। असल में विभाग मानसून के पहुंचने की आधिकारिक घोषणा तब करता है जब देश के दक्षिणी छोर पर बारिश शुरू होने के साथ-साथ हवा में खास स्तर की नमी और कुछ दूसरी शर्तें पूरी हो जाती हैं।
वैसे जून से सितंबर तक के सालाना मानूसन की प्रगति को पिछले हफ्ते आए लैला चक्रवात ने अचानक रोक लिया था। मानसून का बारिश इसके चलते छह दिनों से आगे नहीं बढ़ पाई। लेकिन इसका असर अब खत्म हो गया है और तीन-चार दिन में मानसून अपने मुकाम पर पहुंच जाएगा। मानसून को लेकर मौसम विभाग की पहली भविष्यवाणी 23 अप्रैल को आई थी जिसमें मानसून सीजन में 98 फीसदी औसत बारिश का अनुमान पेश किया गया था।
इस बार मानसून अपनी चार महीने की यात्रा के पहले मुकाम – अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर 17 मई को ही पहुंच चुका है, जबकि सामान्यता यह तारीख 20 मई रहती है। इसके बाद के हफ्तों में वह बंगाल की खाड़ी से सटे देश के अन्य इलाकों में पहुंचता है। देश की 60 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर है। मानसून समय पर शुरू हो गया तो धान, सोयाबीन, मक्के और कपास की बुवाई सही वक्त पर शुरू हो जाएगी। पूरे उद्योग जगत व सरकार की भी धुकधुकी मानसून पर इसलिए टिकी रहती है कि इससे अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति से लेकर अनाजों के दाम तक इससे प्रभावित होते हैं।