भारत, चीन, ब्राजील और रूस के आर्थिक विकास की संभावनाएं अगले साल तक और भी बेहतर हो जाएंगी। यह आकलन है दुनिया के जानेमाने संगठन ओईसीडी (ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) का। ओईसीडी ने बुधवार को जारी अपने ताजा अनुमान में कहा है कि भारत में कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है। इससे भारत के आर्थिक विकास को आवेग मिलेगा। हालांकि बढ़ती मांग के बीच मुद्रास्फीति का दबाव बना रह सकता है। बता दें कि ओईसीडी का मुख्यालय पेरिस में है और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी समेत दुनिया के 31 प्रमुख देश इसके सदस्य हैं। इसमें फिलहाल ब्रिक देश (ब्राजील, भारत, रूस व चीन) शामिल नहीं हैं। लेकिन तीन साल पहले ही मई 2007 में वह इन्हें अपने संगठन में शामिल होने का न्यौता दे चुका है।
ओईसीडी ने नवंबर 2009 में जारी अपनी पिछली रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2010 में 7.3 फीसदी और 2011 में 7.6 फीसदी रहेगी। लेकिन अब नई रिपोर्ट में उसका आकलन है कि 2010 में यह विकास दर 8.2 फीसदी और 2011 में 8.5 फीसदी रहेगी। उसका कहना है कि कृषि उत्पादन बढ़ने से खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर लगाम लगेगी। इससे हाल के दिनों में काफी बढ़ गई मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। लेकिन मांग में जिस तरह का इजाफा हो रहा है, उससे मुद्रास्फीति का दबाव बना रहेगा। उसका अनुमान है कि इस कैलेंडर वर्ष में मुद्रास्फीति की दर 8.1 फीसदी रहेगी, लेकिन अगले साल 2011 में यह घटकर 6.3 फीसदी पर आ जाएगी।
चीन के बारे में ओईसीडी का कहना है कि वहां ‘ओवरहीटिंग’ की समस्या आ रही है। इसलिए चीन को ब्याज दरों में वृद्धि करनी चाहिए। साथ ही उसे विनिमय दरों में ज्यादा लचीलापन लाने की जरूरत है। रूस पेट्रोलियम तेल से होनेवाली भारी आय के चलते अपने राजकोषीय घाटे को ज्यादा जल्दी खत्म कर लेगा। लेकिन अगर तेल की कीमतें और विदेशी पूंजी का प्रवाह तेज रफ्तार से बढ़ता रहा तो वहां एक और उतार-चढ़ाव का चक्र आ सकता है। ब्राजील के बारे में अच्छी बात यह है कि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी ज्यादा निवेश हो रहा है। इसलिए कड़ी मौद्रिक नीतियों व खर्चों में कटौती के बावजूद वहां आर्थिक विकास को गति मिलेगी।