जिनका धंधा-पानी शेयर बाजार से जुड़ा है, हर सुबह उनकी यही चिंता रहती है कि आज कहां जाएगा बाजार। लेकिन बाजार कहीं भी जाए, उससे जुड़े अधिकांश लोगों की हालत अच्छी नहीं है। कल शाम बीएसई में निवेश से जुड़े प्रोफेशनल लोगों के एक समारोह में गया था, जहां साल भर बाद सेंसेक्स से लेकर, कच्चा तेल, सोना और सरकारी बांडों की यील्ड का अंदाज लगाया जा रहा था। मंच पर बैठे विशेषज्ञों की राय में एक साल तक हो सकता है कि एफडी या बांड ज्यादा रिटर्न दे दें। लेकिन तीन साल में इक्विटी में ही सबसे ज्यादा रिटर्न है, इस पर सभी एकराय थे।
उनकी राय एक तरफ। लेकिन मेरी नजर अगल-बगल बैठे करीब 500-700 लोगों के ऊपर घूम रही थी। इनमें से ज्यादातर ट्रेडर या. जॉबर थे। किसी न किसी ब्रोकरेज फर्म के साथ जुड़े हुए। तालियां भी बजाते थे। लेकिन उनके चेहरों के भीतर मायूसी का भाव कहीं गहरे चस्पा हो गया था। उनके चेहरों और कपड़ों से लेकर जूतों की हालत से नहीं लगता था कि वे महीने में इतना कमा रहे हों कि ऐश कर सकते हों। हां, मंच पर बैठे सीईओ व सीएफओ टाइप लोगों के चेहरे जरूर दमक रहे थे।
समारोह के दौरान श्रोताओं के बीच से एक मासूम-सा समझदारी भरा सवाल मंच पर बैठे लोगों से पूछा गया। सवाल था, “इस समय लिक्विडिटी ही बाजार को बढ़ा रही है। ज्यादातर लिक्विडिटी एफआईआई लगा रहे हैं। लेकिन हम कैसे पता लगा सकते हैं कि एफआईआई अपनी लिक्विडिटी कहां लगे रहे हैं?” रिलायंस म्यूचुअल फंड में इक्विटी बाजार के प्रमुख सुनील सिंहानिया ने बताया कि यह सोच गलत है। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि कैसे भारतीय बाजार कई बार एफआईआई के निवेश से स्वतंत्र होकर चलता रहा है। उनका कहना था कि निवेशकों की चार-पांच के नजरिए के साथ धन लगाना चाहिए। दूसरों ने कहा कि वोलैटिलिटी जितना ज्यादा होती है, बाजार में घुसने का मौका उतना सही होता है।
घिसे-पिटे रूटीन और फालतू जवाब, जिनमें आदर्श चलते हैं, जिंदगी नहीं। सवाल पूछनेवाले को कोई जवाब नहीं मिला। यही दिक्कत है, शेयर बाजार से जुड़े ज्यादातर आम लोगों को कोई सिरा नहीं मिल रहा। अंधेरे में हाथ-पैर मार रहे हैं। लग गया तो तीर, नहीं तो तुक्का। जुआ खेल रहे हैं। इस समय शेयर बाजार के कुल वोल्यूम का तकरीबन 80 फीसदी हिस्सा ऑप्शंस सौदों से आ रहा है। आम निवेशक बाजार से दूर हैं। उन्हें अपनी 60 फीसदी से ज्यादा बचत सोने और रीयल एस्टेट में लगाने में समझदारी दिखती है तो गलत क्या है। कोई भी अपनी गाढ़ी कमाई लेकर अनिश्चितता के भंवर में क्यों कूदेगा?
कल एफआईआई का शुद्ध निवेश 245.94 करोड़ रुपए का रहा, जबकि घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआआई) ने 72.81 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की। निफ्टी 5317.90 पर पहुंच गया। हमने कल जानकारों के हवाले बताया कि निफ्टी पहले 5365 और फिर 5400 तक पहुंचेगा। आज भी बाजार का रुझान बढ़ने की तरफ है। तरलता आ रही है। शेयर बढ़ रहे हैं। लेकिन संस्थाओं के आगे, खासकर एफआईआई के आगे एचएनआई समेत आम निवेशकों, एनआरआई व ब्रोकरों के खुद के प्रॉपराइटरी सौदे भी कहीं नहीं टिकते। जैसे, कल इन सभी की कुल शुद्ध खरीद मात्र 28.99 करोड़ रुपए की रही। सवाल वही है कि लिक्विडिटी बहकर कहां जा रही है, इसका पता कैसे लगाया जाए?
sir, you also left the answar, where are liquidity is going ???
please give the answar. It will be interesting.