वित्तीय जगत से जुड़े अधिकांश विश्लेषकों को नहीं लगता कि रिजर्व बैंक आम बजट से पहले गुरुवार, 15 मार्च को ब्याज दरों में कोई कमी करेगा। यह बात समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रायशुमारी से जाहिर हुई है। रॉयटर्स ने 20 विश्लेषकों से पूछा कि क्या रिजर्व बैंक रेपो दर को 8.5 फीसदी से घटा देगा? इसके जवाब में 17 विश्लेषकों ने कहा है कि ऐसा नहीं होने जा रहा। दो महीने पहले जनवरी में इसी तरह की रायशुमारी में 22 में से आठ विश्लेषकों ने भविष्यवाणी की थी कि मार्च अंत तक ब्याज दरें घटा दी जाएंगी।
विश्लेषकों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष 2012-13 के लिए शुक्रवार, 16 मार्च को पेश हो रहे बजट में अपना उधारी लक्ष्य घोषित नहीं करती, तब तक रिजर्व बैंक न तो ब्याज दरों में कोई कटौती करेगा और न ही सीआरआर में। बता दें कि बीते शुक्रवार को ही रिजर्व बैंक ने सीआरआर को 0.75 घटाकर 4.75 फीसदी कर दिया है। सीआरआर बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के पास नकद रखी जानेवाली जमा का अनुपात है। केवल एक विश्लेषक ने कहा कि गुरुवार को सीआरआर में 0.25 फीसदी की और कमी की जा सकती है।
सिंगापुर में एक प्रमुख बैंक के एशिया प्रभारी शैलेश झा का कहना था कि अगर सरकार राजकोषीय नीति को ढीला छोड़ देती है, या दूसरे शब्दों में सब्सिडी जैसे खर्चों पर लगाम नहीं लगाती तो रिजर्व बैंक को ब्याज दरें घटाने में मुश्किल होगी। इससे सितंबर तक सीआरआर में 25-50 आधार अंक से ज्यादा की कटौती की गुंजाइश भी खत्म हो जाएगी।
माना जा रहा है कि सरकार नए वित्त वर्ष में बाजार से 5.3 लाख करोड़ रुपए का उधार लेगी। चालू वित्त वर्ष में यह रकम 5.1 लाख करोड़ रुपए रही है। रॉयटर्स के मतसंग्रह में भाग लेनेवाले 14 में से 12 लोगों ने उम्मीद जताई कि जून अंत तक रेपो दर को आधा फीसदी घटाकर 8 फीसदी कर दिया जाएगा। वहीं दो विश्लेषकों ने माना कि यह कमी 0.25 फीसदी की हो सकती है। ज्यादातर अर्थशास्त्री मानते हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दर में पहली कटौती 17 अप्रैल को नए वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति पेश करते वक्त करेगा।