जिस तरह गहरा पानी शांत बहता है, कम गहरा पानी थोड़ा ज्यादा और ज्यादा छिछला पानी कुछ ज्यादा ही उछलता है, उसी तरह का हाल शेयर बाजार में लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स का रहता है। यह बाजार का ऐसा स्वभाव है जिसे हम बदल नहीं सकते। समझदारी इसी में है कि इसी स्वभाव के मद्देनज़र निवेश और रिटर्न का हिसाब-किताब बैठाया जाए। इसी से फैसला किया जाए कि कहां लंबे समय का निवेश रखना है, कहां छह महीने या साल भर का नजरिया रखना है और कहां खटाक से कमाके निकल जाना है। लेकिन यह भी ध्यान रहे कि आज की स्मॉल कैप या मिड कैप कंपनियां ही कल की लार्ज कैप कंपनियां बनती हैं।
आज की कंपनी लंबे समय के निवेश के लिए है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स। सरकारी कंपनी है। रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। 1954 में शुरुआत तो भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हुई थी। लेकिन अब तो स्विचिंग उपकरण, टीवी व ब्रॉडकास्ट, डीटीएच, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और ऐसे बहुतेरे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाती है। यहीं नहीं, वह कांट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग व सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट जैसी सेवाएं भी देती हैं। बैंगलोर में उसका मुख्यालय है। लेकिन उसकी उत्पादन इकाइयां उत्तर में हरियाणा, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से लेकर दक्षिण में आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु तक फैली हैं।
कंपनी का धंधा दुरुस्त चल रहा है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी शुद्ध बिक्री 5.62 फीसदी बढ़कर 5471.75 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 19.50 फीसदी बढ़कर 861.47 करोड़ रुपए हो गया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 50.84 फीसदी और सितंबर तिमाही में 20.12 फीसदी बढ़ा है। दिसंबर तिमाही के नतीजे उसने महीने भर पहले घोषित किए हैं जिसके मुताबिक उसकी बिक्री व शुद्ध लाभ दोनों ही दबे-दबे से रहे हैं। जहां बिक्री मात्र 8.35 फीसदी बढ़कर 1431.61 करोड़ रुपए पर पहुंची, वहीं शुद्ध लाभ केवल 2.37 फीसदी बढ़कर 174.65 करोड़ रुपए पर पहुंच सका।
शायद बाजार को कंपनी के धंधे के मंदा पड़ने का आभास था। इसीलिए उसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 30 दिसंबर 2011 को 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 1293 रुपए तक गिर गया। लेकिन उसके बाद वह बराबर बढ़ रहा है। 31 जनवरी को 1406.15 रुपए तक पहुंचा और कल, 23 फरवरी को बीएसई (कोड – 500049) में 1523.65 रुपए और एनएसई (कोड – BEL) में 1522.75 रुपए पर बंद हुआ है। यह एफ एंड ओ सेगमेंट में शामिल स्टॉक है तो इस पर कोई सर्किट सीमा नहीं है और इसमें फ्यूचर्स व ऑप्शंस सौदे भी होते हैं।
दिसंबर 2011 तक के बारह महीनों में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 108.84 रुपए है और उसका शेयर इस समय 13.99 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। पिछले साल अप्रैल में यह 17.74 के पी/ई अनुपात तक ट्रेड हुआ था, जब 21 अप्रैल 2011 को इसका शेयर 1887.90 रुपए तक चला गया था, जो इसका 52 हफ्ते को सर्वोच्च स्तर है। यह लार्ज कैप कंपनी है और मूलभूत से बहुत मजबूत है। इसमें कम से कम पांच साल के नजरिए से निवेश कर देना चाहिए।
यूं तो इस समय भी कंपनी के दो संयुक्त उद्यम ब्रिटेन की मल्टीटोन और जनरल इलेक्ट्रिक मेडिकल सिस्टम के साथ हैं। लेकिन जिस तरह रक्षा उत्पादन को निजी क्षेत्र के लिए बराबर खोला जा रहा है, उसमें कंपनी का धंधा ही नहीं, मूल्यांकन भी काफी बढ़ सकता है। कंपनी के पास 27,000 करोड़ रुपए के अग्रिम ऑर्डर हैं। कंपनी का शुद्ध लाभ पिछले तीन सालों में मात्र 2.25 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। लेकिन जेपी मॉरगन की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो सालों में इसके 18 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढने का अनुमान व्यक्त किया है। उसका कहना है कि यह शेयर इस साल सितंबर तक 2000 रुपए पर पहुंच जाना चाहिए।
कंपनी की 80 करोड़ रुपए की इक्विटी में भारत सरकार का हिस्सा 75.86 फीसदी है, जबकि एफआईआई (विदेशी निवेश संस्थाएं) के पास इसके 5.86 फीसदी और डीआईआई (घरेलू निवेश संस्थाएं) के पास 14.36 फीसदी शेयर हैं। दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनी में एफआईआई ने अपना निवेश घटाया और डीआईआई ने बढ़ाया है। इसके कुल शेयरधारकों की संख्या 21.646 है। इसमें से 20,146 (93.07 फीसदी) एक लाख से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के मात्र 1.70 फीसदी शेयर हैं। सरकार के लिए अलावा कंपनी के बड़े शेयरधारकों में एलआईसी और एचडीएफसी ट्रस्टी कंपनी शामिल है जिनके पास कंपनी के कुल 8.35 फीसदी शेयर हैं।
आखिरी पर, महत्वपूर्ण बात। इधर इसके शेयरों में अचानक सक्रियता बढ़ गई है। कल बीएसई में इसमें औसत से करीब तीन गुना 20,681 शेयरों की ट्रेडिंग हुई जिसमें से 40.15 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। वहीं एनएसई में ट्रेड हुए 1,40,307 शेयरों में से 62.10 फीसदी डिलीवरी के लिए थे।