केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम लगाने के दिशानिर्देशों को शुक्रवार को पारित कर दिया। कहा गया है कि ऐसे संयुक्त उद्यम को सुनिश्चित करना पड़ेगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाएगा।
दिशानिर्देशों के मुताबिक संयुक्त उद्यम भागीदार के चयन में निष्पक्षता और पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। इससे सरकारी कंपनी से निकलने का भी स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए। संयुक्त उद्यम का गठन निेदेशक बोर्ड द्वारा नियंत्रित सरकारी उपक्रमों के जरिये ही किया जाएगा।
गौरतलब है कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में पर्याप्त आत्मनिर्भरता पाने के मकसद से रक्षा मंत्रालय ने जनवरी 2011 में रक्षा उत्पादन नीति जारी की थी। इसे रक्षा अधिग्रहण परिषद का अनुमोदन प्राप्त था। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगी ढंग से अत्याधुनिक रक्षा उत्पाद तैयार करने की राष्ट्रीय क्षमता बढ़ाने के लिए इस नीति में कंसोर्टियम गठित करने, संयुक्त उद्यम बनाने और सरकार द्वारा अनुमोदित रूपरेखा के अंतर्गत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप जैसी बातों को अनुमति दी गई थी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब संयुक्त उद्यम के दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया है।