सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में 2जी स्पेक्ट्रम के वे सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए, जिन्हें तिहाड़ जेल में बंद पूर्व टेलिकॉम मंत्री अंदीमुतु राजा ने 10 जनवरी 2008 को जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये लाइसेंस अवैध हैं और इन्हें निरस्त किया जाता है। देश की सर्वोच्च अदालत की दो सदस्यीय खंडपीठ के मुताबिक, लाइसेंस देने की प्रक्रिया समानता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के साथ ही पूरी तरह मनमानी, सनक से भरी हुई और जनहित के खिलाफ थी। खंडपीठ में शामिल न्यायाधीश ए के गांगुली का यह आखिरी फैसला था क्योंकि वे कल, शुक्रवार से रिटायर हो रहे हैं।
यह सीधे-सीधे मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ आया सुप्रीम कोर्ट का कठोर फैसला है। लेकिन मौजूदा टेलिकॉम कपिल सिब्बल ने कहा है कि यह फैसला यूपीए सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा 2003 में बनाई गई नीति के खिलाफ है। एक संवाददाता सम्मेलन में जब उनसे पूछा गया कि अगर ऐसा ही है तो 2008 में जारी लाइसेंस ही क्यों रद्द किए गए हैं, तब उनका कहना था कि अगर याचिका करनेवाले पहले का मुद्दा उठाते तो पुराने लाइसेंस भी रद्द किये जा सकते थे।
सिब्बल ने एकमात्र राजा को दोषी ठहराते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बचाव किया। उनका कहना था कि, “तत्कालीन टेलिकॉम मंत्री राजा ने प्रधानमंत्री या चिबंबरम की किसी बात पर ध्यान नहीं दिया। राजा ने टेलिकॉम कमीशन की उस अहम बैठक को 9 जनवरी 2008 से 15 जनवरी 2008 तक टाल दिया था जिसमें नीलामी को लेकर अहम फ़ैसला होना था। इस बीच कंपनियों को आवंटन के पत्र 10 जनवरी 2008 को राजा ने जारी कर दिए तो चिदंबरम को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट ने जिन 122 लाइसेंसों को खारिज किया है, वे आठ टेलिकॉम ऑपरेटरों को दिए गए थे। इनमें एतिसलाट डीबी, एमटीएस, यूनिनॉर, लूप टेलिकॉम, वीडियोकॉम टेलिकम्युनिकेशंस, एस-टेल, आइडिया और टाटा टेलिसर्विसेज शामिल हैं। आइडिया के पास 13 लाइसेंस हैं, जिनमें से वह सात का इस्तेमाल कर रही है। टाटा टेलिसर्विसेज के तीन लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित होंगे। वैसे, 122 लाइसेंस सुनने में भले ही ज्यादा लगें, लेकिन इनका देश के 5 फीसदी से भी कम मोबाइल उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा।
सलाहकार फर्म कोगेन्स एडवाइजर्स का कहना है, “विदेशी निवेशकों के लिए यह बहुत ही बुरी खबर है। आखिर उनकी क्या गलती है? उन्होंने भारतीय कंपनियों को साझीदार बनाया, भारी-भरकम पूंजी लगाई और उस समय की प्रक्रिया का पालन किया।” बता दें कि यूनिनॉर में नॉरवे की कंपनी टेलिनॉर, एमटीएस में रूस की सिस्टेमा और एतिसलाट डीबी में संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी एतिसलाट ने इक्विटी लगा रखी है। टेलिनॉर के शेयर इस फैसले के बाद ओस्लो स्टॉक एक्सचेंज में 3.67 फीसदी गिर गए।
लेकिन इस फैसले का स्पष्ट फायदा पहले लाइसेंस हासिल कर चुकी भारती एयरटेल व वोडाफोन जैसी कंपनियों को मिलेगा। यही वजह है कि भारती एयरटेल का शेयर आज 6.88 फीसदी छलांग लगाकर 385.95 रुपए पर पहुंच गया। यहां तक कि आइडिया सेलुलर का शेयर भी 2.68 फीसदी बढ़ गया। लेकिन यूनिटेक, टाटा टेलिसर्विसेज और रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक लाइसेंस रद्द किए गए ऑपरेटर चार महीने तक पूर्ववत काम कर सकते हैं। इस दौरान टेलिकॉम नियामक संस्था, टीआरएआई नए नियम तैयार कर लेगी। इसके बाद मुक्त हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी, जिन्हें पुरानी कंपनियां बोली लगाकर फिर से हासिल कर सकती हैं। जानकारों का कहना है कि इस फैसले से अनिश्चितता खत्म हुई है और लाइसेंस देने की प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी जो दूरगामी रूप से देश के टेलिकॉम सेक्टर के हित में है। बता दें कि भारत में दुनिया में चीन के बाद सबसे बड़ा सेलुलर बाजार है।
पी चिदंबरम पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में उनकी संलिप्तता का फैसला करने में ट्रायल कोर्ट सक्षम है। ट्रायल कोर्ट का फैसला शनिवार, 4 फरवरी को आना है। घोटाले की सीबीआई जांच पर निगरानी के लिए विशेष जांचदल बनाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसकी ज़रूरत नहीं है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) इसकी निगरानी करेगा।