हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) का धंधा एकदम सीधा सरल है। पहले हमारे बाप-दादा रिटायर होने के बाद ही घर बना पाते थे। लेकिन आज 30-35 साल के नौकरीपेशा लोग भी मुंबई व दिल्ली जैसे शहर में अपना घर बना ले रहे हैं तो इसे सुगम बनाने और इस ख्वाहिश को बिजनेस म़ॉडल बनाने का श्रेय एचडीएफसी के संस्थापक हंसमुख ठाकुरदास पारेख को जाता है। 1977 में उन्होंने आम मध्य वर्ग के लोगों को हाउसिंग फाइनेंस देने वाली यह कंपनी कंपनी बनाई। उनके उत्तराधिकार को दीपक पारेख ने नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। सबसे खास बात है कि दीपक पारेख जिन लोकतांत्रिक मूल्यों व तौर-तरीकों में आस्था रखते हैं, कॉरपोरेट क्षेत्र की तरफ से सरकार व नेताओं को जिस तरह खुला खत लिखवाने की कुव्वत रखते हैं, वह उन्हें सबसे अलग ही नहीं, देश के लिए जरूरी भी बना देती है।
मुझसे अगर कोई पूछे कि एचडीएफसी में क्यों निवेश करना चाहिए तो मैं कहूंगा कि इसलिए क्योंकि इसके चेयरमैन दीपक पारेख हैं। उन्होंने सीईओ केकी मिस्त्री और प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नाड के नेतृत्व में ऐसी टीम बनाई है कि एचडीएफसी मुश्किल से मुश्किल हालात में राह निकाल सकती है। वित्तीय आंकड़े तो कुशल प्रबंधन का बाय-प्रोडक्ट होते हैं। वैसे, भी इस समय एएडीएफसी का शेयर अपेक्षाकृत नीचे आया हुआ है। हां, आगे बढ़ने से समझ लें कि एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक दोनों अलग हैं। एचडीएफसी असल में एचडीएफसी बैंक की होल्डिंग कंपनी है।
एचडीएफसी निफ्टी व सेंसेक्स दोनों में शामिल है। उसका दो रुपए अंकित मूल्य का शेयर ठीक एक साल पहले आज ही के दिन 18 अक्टूबर 2010 को एनएसई (कोड – HDFC) में 763.50 रुपए और बीएसई (कोड – 500010) में 750 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर चूम रहा था। कल सितंबर 2011 के तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद बीएसई में यह 672.65 रुपए और एनएसई में 673.45 रुपए पर बंद हुआ है। सितंबर के स्टैंड-एलोन नतीजों को मिलाकर इसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 26.14 रुपए है। इस तरह फिलहाल इसका शेयर 25.7 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
इसे यकीनन बहुत सस्ता नहीं कहा जा सकता। लेकिन एक तो अच्छी चीजें महंगी मिलती हैं। दूसरे जो शेयर पिछले साल सितंबर में 45.92 के पी/ई पर ट्रेड हो रहा है, वह अगर 25-26 के पी/ई अनुपात पर मिल रहा है तो इसे सस्ता ही माना जाएगा। आखिर देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी का शेयर है यह। यह ऐसा स्टॉक हैं जिसमें 5-10 साल का नजरिया रखकर निवेश किया जा सकता है। हमारा मानना है कि आम निवेशकों के लिए एचडीएफसी के मालिकाने में घुसने का यह बहुत अनुकूल मौका है। वैसे, जिन्होंने भी इसे इस साल फरवरी में इसके न्यूनतम स्तर 582 रुपए के आसपास खरीदा होगा, उसकी समझ और दूरंदेशी की दाद देनी पड़ेगी।
कल घोषित नतीजों के अनुसार एचडीएफसी ने सितंबर तिमाही में 4169.14 करोड़ रुपए की कुल आय पर 970.70 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले की तुलना में उसकी आय 40.36 फीसदी बढ़ी है, वहीं शुद्ध लाभ में 20.20 फीसदी का इजाफा हुआ है। ये नतीजे बाजार की उम्मीद से बेहतर हैं। 30 सितंबर 2011 तक कंपनी द्वारा दिए गए ऋण 1,26,992 करोड़ रुपए के है। यह 30 सितंबर 2010 तक दिए गए 1,06,287 करोड़ रुपए के ऋण से 19.5 फीसदी ज्यादा हैं।
कंपनी के कुल 1,26,992 करोड़ रुपए के ऋण में से केवल 1063 करोड़ रुपए के ऋण लौटाने के मामले में फंसे हुए हैं। इस तरह उसका कुल एनपीए (डूबत ऋण या गैर-निष्पादित आस्तियां) मात्र 0.82 फीसदी हैं। उसका एनपीए जून 2011 की तिमाही में 0.83 फीसदी और सितंबर 2010 की तिमाही में 0.86 फीसदी था। यह लगातार 27वीं तिमाही है जब कंपनी ने साल भर पहले की तुलना में अपना एनपीए घटाया है। कंपनी का जोखिम भारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात 13.8 फीसदी है, जबकि न्यूनतम मानक 12 फीसदी का ही है।
कंपनी की कुल इक्विटी 294.44 करोड़ रुपए की है और यह पूरी की पूरी पब्लिक के पास है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि एचडीएफसी का प्रबंधन पब्लिक के धन के ट्रस्टी के रूप में काम कर रहा है। शायद कंपनियों को लेकर महात्मा गांधी की यही अवधारणा थी। खैर, आजाद भारत की सरकारों की बलिहारी है कि एचडीएफसी की 58.22 फीसदी इक्विटी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पास है। भारतीय निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास इसके 29.05 फीसदी शेयर हैं।
कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 2,12,770 है। इसमें से 2,02,187 यानी 95 फीसदी छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के कुल 8.40 फीसदी शेयर हैं। उसके 12 बड़े शेयरधारक हैं जिनके पास कुल 32.83 फीसदी इक्विटी है। हर किसी के पास एक फीसदी से ज्यादा। सिटीग्रुप मॉरीशस के पास 9.86 फीसदी, एलआईसी के पास 3.21 फीसदी, सिंगापुर की सरकार के पास 1.14 फीसदी, सीएमपी एशिया के पास 5.23 फीसदी तो यूरो पैसिफिक ग्रोथ फंड के पास 4.46 फीसदी। लेकिन इनमें दीपक पारेख या निदेशक बोर्ड के किसी सदस्य का नाम नहीं है।
अंत में दो बातें और। एचडीएफसी खुद एक निवेशक है। उसने शेयर बाजार की लिस्टेड कंपनियों में निवेश कर रखा है जिस पर उसे 30 सितंबर 2011 तक 21,335 करोड़ रुपए का फायदा हो रहा था, हालांकि उसने इसे बेचकर निकाला नहीं है। इसमें वो निवेश नहीं शामिल है जो उसने अनलिस्टेड कंपनियों में कर रखा है। दूसरी बात एचडीएफसी लोगों से डिपॉजिट भी लेती है। मार्च 2011 तक के आंकड़ों के अनुसार उसने 10 लाख से ज्यादा जमाकर्ताओं से 24,625 करोड़ रुपए जुटा रखे थे। उसके डिपॉजिट कार्यक्रम को लगातार 16 सालों से क्रिसिल और इक्रा से एएए की सर्वोच्च रेटिंग मिली हुई है।