टीम अण्णा देश में जन आंदोलन की नई तैयारी में जुट गई है। इस सिलसिले में अण्णा हज़ारे के गांव रालेगण सिद्धि में उनका दो दिन का जमावड़ा शनिवार से शुरू हो गया। पहले दिन की बैठक में तय हुआ है कि भूमि अधिग्रहण, चुनाव सुधार, जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने और उन्हें खारिज करने के अधिकार समेत सांसदों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा कराने के संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखेंगे।
भूमि अधिग्रहण जैसे संवेदनशील मुद्दे को टीम अण्णा बहुत संभलकर उठाना चाहती है क्योंकि उसका ताल्लुक गांवों में रह रही देश की करीब 70 फीसदी आबादी से है, किसानों से है। अगर वे किसी रूप में आंदोलित हो गए तो आंदोलन को संभालना किसी भी सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल उन्होंने तय किया है कि वे प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को लिखे जानेवाले पत्र में उनसे पूछेंगे कि क्या प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक में किसी भी विकास परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से पहले ग्राम सभा की रजामंदी लिए जाने की आवश्यकता का भी प्रावधान होना चाहिए? बता दें कि यह विधेयक बीते हफ्ते बुधवार को संसद में पेश हो चुका है।
हज़ारे के गांव में पहली बार हो रही बैठक में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, किरण बेदी और मेधा पाटकर समेत कोर समूह के शीर्ष सदस्य हिस्सा ले रहे हैं। दो दिन तक चलने वाली बैठक के पहले दिन की बैठक समाप्त होने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा, ‘‘आंदोलन की तरफ से अण्णा हजारे प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे और उनसे सांसदों के प्रदर्शन का वाषिर्क लेखा-जोखा कराने, खारिज करने का अधिकार, वापस बुलाने का अधिकार और भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उनसे अपने विचार जाहिर करने की मांग करेंगे।’’
केजरीवाल ने कहा कि हजारे सांसदों के प्रदर्शन का लेखा-जोखा कराने और उस आधार पर क्या सांसदों को निरस्त करने या उन्हें वापस बुलाने के अधिकार की आवश्यकता है, इस बारे में मनमोहन सिंह से अपना विचार जाहिर करने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि निरस्त करने के अधिकार के लिए कानून में किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं है। निरस्त करने और जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार के मुद्दे पर टीम अण्णा के सदस्य जल्द ही मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से मुलाकात करेंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी यात्रा करने के बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की घोषणा के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने किसी राजनीतिक टिप्पणी से बचते हुए कहा, ‘‘हम यात्रा नहीं, बल्कि लोकपाल विधेयक पारित चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक को पारित कराने के लिए भ्रष्टाचार के विरोधी सभी दलों को एक साथ आना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्थायी समिति और संसद में उनके सांसद जन लोकपाल विधेयक के लिए मत डालें।’’
दूसरी ओर पुणे में टीम अन्ना के प्रमुख सदस्यों में से एक न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने देश के पहले लोकपाल के रूप में उनकी नियुक्ति की संभावना संबंधी चर्चाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पद का इच्छुक नहीं हूं. मैं इसके लिए लड़ रहा हूं।’’ संतोष हेगड़े ने यह भी कहा कि सरकार और टीम अण्णा दोनों के मसौदे में लोकपाल के लिए आयु सीमा 70 रखी गई है, जबकि वे अब 72 के हो चुके हैं।