योगगुरु बाबा रामदेव ने दस सालों में जनता-जनार्दन में जो भी प्रतिष्ठा कमाई थी, उनकी एक चूक से वह एकदम मिट्टी में मिल गई। बाबा ने शुक्रवार को ही सरकार के साथ डील कर ली थी कि रामलीला मैदान में शनिवार सुबह को शुरू हुआ अनशन दोपहर तक खत्म कर देंगे, लेकिन 6 जून तक ‘तप’ जारी रहेगा। खुद बाबा रामदेव ने स्वीकार किया कि उनकी तरफ से संगठन के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सरकार को इस आशय का लिखित पत्र दिया था।
दिक्कत यह हुई है कि बाबा रामदेव ने डील के मुताबिक दोपहर तक अनशन खत्म करने की घोषणा नहीं की। उन्होंने ढाई बजे के आसपास दो घंटे के विराम की बात कही। उसके बाद टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने उन्हें फोन किया। इसके बाद बाबा ने शाम 6.50 बजे घोषणा की सरकार ने उनकी तीनों मांगें मान ली हैं। समर्थकों में उत्साह व जय-जयकार शुरू हो गई। तब भी बाबा ने सत्याग्रह खत्म करने का ऐलान नहीं किया।
इस बीच कपिल को जाने क्या खुराफात सूझी कि उन्होंने बाकायदा सरकार की तरफ से एक प्रेस कांफेंस आचार्य बालकृष्ण की तरफ की लिखी गई वह चिट्ठी सार्वजनिक कर दी थी जिसमें कहा गया था कि सरकार ने सारी मांगें मान ली हैं और अनशन दोपहर तक खत्म हो जाएगा।
इसके बाद रामलीला मैदान में हड़कंप मच गया। बाबा का पूरा खेमा सकते में आ गया। वहां भी बाबा रामदेव ने मीडिया को संबोधित करना शुरू कर दिया। प्रेस कांफ्रेंस का लाइव प्रसारण तमाम चैनलों पर दिखाया गया। रामदेव से पूछा गया कि जब इतनी बड़ी डील कल ही हो चुकी थी तो उन्होंने अपने साथ रामलीला मैदान में जुटे हजारों लोगों और पूरे देश को अंधेरे में क्यों रखा? इतनी अपारदर्शिता क्यों? बाबा ने पहले इसे साजिश का रूप देना चाहा। उन्होंने कहा कि, “उन्होंने कल शाम को कहा था कि कुछ षड़यंत्र चल रहा है जिसे समय आने पर बताया जाएगा।”
लेकिन चिट्ठी की बात से इनकार करना उनके लिए मुश्किल हो गया तो उन्होंने कहा कि यह चिट्ठी तो प्रधानमंत्री को दिखाने के लिए मंत्रियों ने लिखवाई थी ताकि यह भरोसा दिलाया जा सके कि सत्याग्रह से कोई अशांति नहीं पैदा होगी और मांग मान लिए जाने अनशन खत्म हो जाएगा। कपिल सिब्बल ने इस चिट्ठी को सबके सामने पेश कर विश्वासघात किया है और वे कभी जिंदगी में सिब्बल के साथ कोई बात नहीं करेंगे। बाबा बार-बार अपने वक्तव्य में 121 करोड़ भारतवासियों की दुहाई देते रहे। लेकिन धीरे-धीरे उनकी बातें थोथे चने की तरह बजने लगीं। अपने ही समर्थकों व देश के अवाम से सच छिपाने का वे कोई स्वीकार्य जवाब नहीं दे पाए।
फिलहाल रामलीला मैदान का माहौल खराब होता जा रहा है। सत्याग्रह में आए लोग धीरे-धीरे सामान समेत अपने घरों को लौटने लगे हैं। मीडिया भी शायद कल से इन अनशन को कोई तवज्जो न दे। इस सारे ड्रामे के बीच सरकार मस्त है। कपिल सिबल्ल खुश हैं कि उन्होंने बाबा को बेदम कर दिया। बाबा भी बेचेन होंगे कि थोड़ा नाम कमाने के चक्कर में उन्होंने ये कैसी नूरा कुश्ती कर डाली, कैसी चूक कर डाली कि सारा गुड़ गोबर हो गया।