अभी देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के सस्ते होमलोन की स्कीम 30 अप्रैल तक बढ़ाने के जवाब में किसी भी दूसरे बैंक को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि आज देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी ने धमाका कर दिया। उसने दोहरी ब्याज दर वाली होमलोन की नई स्कीम पेश कर दी है। इसके तहत 31 मार्च 2011 तक ग्राहक से 8.25 फीसदी सालाना ब्याज लिया जाएगा और फिर 1 अप्रैल 2011 से 31 मार्च 2012 तक ब्याज की दर 9 फीसदी रहेगी। यह स्कीम सभी नए होमलोन पर लागू होगी, भले ही लोन की राशि कितनी भी क्यों न हो। एचडीएफसी का यह विशेष ऑफर उन सभी नए ग्राहकों को मिलेगा जो उसके पास 30 अप्रैल तक आवेदन कर देंगे और स्वीकृत लोन का एक हिस्सा हिस्सा 30 जून से पहले ले लेंगे।
एचडीएफसी की इस स्कीम की घोषणा करते हुए कंपनी की प्रबंध निदेशक रेणु सूद कर्नाड ने कहा कि इसका फायदा उन मौजूदा ग्राहकों को भी मिलेगा जो एचडीएफसी से लोन तो मंजूर करा चुके हैं, लेकिन 14 अप्रैल तक उन्होंने उसमें से कुछ लिया नहीं है। वे अपने होमलोन को नई स्कीम के तहत ला सकते हैं। इस बदलाव के लिए उनसे कोई फीस नहीं ली जाएगी। नई स्कीम में दो साल के बाद ग्राहकों से फ्लोटिंग रेट के हिसाब से ब्याज लिया जाएगा। श्रीमती कर्नाड ने बताया कि कंपनी के मौजूदा फ्लोटिंग लोन रेट वाले होमलोन पर ब्याज की दर 30 लाख तक के लोन पर 8.75 फीसदी, 30 लाख से 50 लाख तक के लोन पर 9 फीसदी और 50 लाख रुपए से ज्यादा के लोन पर 9.25 फीसदी पर जस की तस रहेगी।
नई स्कीम के तहत दो साल तक ब्याज की दर सभी होमलोन पर समान रहेगी। लेकिन उसके बाद ब्याज दर के लिए दो स्लैब रखे गए हैं। 30 लाख रुपए तक के होमलोन पर ब्याज की फ्लोटिंग दर 9 फीसदी और 30 लाख से ऊपर के लोन पर 9.25 फीसदी रहेगी। कंपनी की प्रबंध निदेशक का कहना था कि हालांकि नई स्कीम में ब्याज की दर पहले के ऑफर से थोड़ी अधिक है। लेकिन 15-20 साल के होमलोन पर यह दर काफी आकर्षक है और दूसरे बैंकों या कंपनियों के ऐसे ही होमलोन प्रस्तावों से काफी बेहतर है।
एचडीएफसी का नया ऑफर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) को भी मिलेगा। इसका लाभ नौकरीपेशा लोगों के साथ अपने रोजगार-धंधे में लगे लोगों को भी दिया जाएगा। बता दें कि इस तरह के टीजर लोन के खिलाफ रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट बैंकों को चेतावनी दे चुकी हैं। उनका कहना था कि जब शुरुआती दो साल के बाद ग्राहकों को उस समय की ब्याज दर देनी पड़ेगी तो वे डिफॉल्ट कर सकते हैं। इसलिए बैंक थोड़ा सतर्क हो गए हैं। लेकिन एचडीएफसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है और वह सीधे रिजर्व बैंक के तहत न आकर उसकी सब्सिडियरी राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) के अंतर्गत आती है।
इतना तो साफ है कि एचडीएफसी की इस पहल से हाउसिंग लोन क्षेत्र में नई होड़ मच सकती है क्योंकि वह बाजार की सबसे बड़ी खिलाड़ी है। बता दें कि 31 दिसंबर 2009 को खत्म हुए नौ महीनों में एचडीएफसी ने 44,110 करोड़ रुपए के होम लोन मंजूर किए हैं, जो साल भर पहले की इसी अवधि के 33,820 करोड़ रुपए से 22 फीसदी ज्यादा हैं। इसी अवधि में उसका लोन वितरण 27,211 करोड़ रुपए से 23 फीसदी बढ़कर 33,527 करोड़ रुपए हो गया है। एचडीएफसी की लोन रिकवरी की दर भी अच्छी रही है। उसके नॉन परफॉर्मिग लोन का अनुपात पिछले साल की समान अवधि से कम रहा है।
यह भी जानने की बात है कि एचडीएफसी का वजूद एचडीएफसी बैंक से स्वतंत्र और अलग है। यह पहली हाउसिंग कंपनी है जो बैंक की प्रवर्तक है, जबकि दूसरे मामलों में इसका उल्टा है। एचडीएफसी लोगों ने डिपॉजिट एकत्र करती है और उसकी डिपॉजिट को क्रिसिल व इक्रा दोनों ही रेटिंग एजेंसियों से सबसे उम्दा एएए रेटिंग मिली हुई है। कंपनी ने दिसंबर 2009 तक 21,979 करोड़ रुपए की डिपॉजिट जुटाई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह रकम 17,551 करोड़ रुपए थी।