आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने गंगा नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमे राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (एनजीआरबीए) को विश्व बैंक की सहायता देने की बात कही गयी है। इस काम पर 7000 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।
विश्व बैंक के बोर्ड ने इस परियोजना को दस साल पहले 31मई 2001को ही मंजूरी दे दी थी। विश्व बैंक के साथ ऋण के समझौते पर 14 जून 2011 को हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। विश्व बैंक केंद्र सरकार को तकनीकी सहायता और एक अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 4600 करोड़ रुपए) का फाइनेंस उपलब्ध कराएगा।
पूरी परियोजना में केंद्र सरकार का अंश 5100 करोड़ रुपए होगा और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड़ और पश्चिम बंगाल का योगदान 1900 करोड़ रुपए होगा। इस परियोजना का स्थानीय आबादी के लिए काफी महत्व है। इससे गंगा के साथ लगे शहरों और कस्बों से नदी में आने वाले मलमूत्र के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।