भारतीय मतदाता के दिल-दिमाग को झूठ और फरेब से भरे भावुक भाषणों से ही नहीं, कड़कते नोटों और जहरीले नशे से सम्मोहित करने का सिलसिला जारी है। चुनाव आयोग की तरफ से मिली आधिकारिक सूचना के मुताबिक 5 मार्च को आम चुनावों की घोषणा के बाद के तीन हफ्तों में देश भर से 190 करोड़ रुपए का कैश, 100 किलोग्राम हेरोइन और एक करोड़ लीटर शराब जब्त की गई है।
यह सारा कुछ कारों, प्राइवेट विमानों, दूध के वाहनों, सब्जियां ले जाते ट्रकों और यहां तक कि एम्बुलेंसों से बरामद किया गया है। आयोग का कहना है कि 190 करोड़ रुपए का कैश तो 2009 के पूरे चुनावों में भी नहीं बरामद किया गया था। चुनाव आयोग में खर्च पर निगरानी रखनेवाली टीम के प्रमुख पी के डैश ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “इस बार हमने जितना कैश, शराब व ड्रग्स पकड़ा है, वो हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा है। समस्या का स्वरूप बड़ा भयानक है।”
उन्होंने इसकी खास वजह यह बताई कि अब बिजनेस के लोगों का दखल राजनीति में बढ़ता जा रहा है। उनका कहना था कि कुछ आम चुनाव पहले तक नोटों का ऐसा खुला खेल नहीं होता था। अब तो बिजनेस के लोग सीधे राजनीति में आ गए हैं, जबकि पहले उनका वास्ता अपने धंधे के साम्राज्य को बचाने तक सीमित रहता था।
आयोग ने 100 किलो हेरोइन का बड़ा हिस्सा पंजाब से बरामद किया है। यह हेरोइन अफगानिस्तान के रास्ते पंजाब पहुची है। कितना अजीब तथ्य है कि पांच दशक पहले हरित क्रांति का केंद्र रहा यह राज्य पहले धार्मिक कट्टरता का शिकार बना। अब ड्रग्स का शिकार बन चुका है। वहां के नौजवानों का बड़ा तबका नशे का लती बन चुका है।
मोटा अनुमान है कि आम चुनावों पर आधिकारिक खर्च करीब 3000 करोड़ रुपए का होगा। लेकिन अनधिकारिक खर्च कितना होगा, इसका सहज अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के मुताबिक बीजेपी के स्वघोषित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान पर अब तक 10,000 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। राजनीतिक फंडिंग का सारा मामला देश में अंधकार में रहता है। प्रति लोकसभा सीट प्रति उम्मीदवार चुनाव आयोग ने खर्च पर 70 लाख रुपए की ऊपरी सीमा बांध रखी है। लेकिन खर्च करोड़ों में होता है तो बाकी रकम काले धन से आती है।
यह भी कहा जा रहा है कि शेयर बाजार में जनवरी के बाद से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की तरफ से देश के शेयर बाज़ार व ऋण बाज़ार में 999.40 करोड़ डॉलर का जो निवेश आया है, उसका बड़ा हिस्सा भारतीयों के काले धन का है जो इस तरह से वैधानिक रास्ता पकड़कर देश में आ रहा है।
पुलिस ने अवैध नोटों की बरामदगी के 9000 मामले देश भर में रजिस्टर किए हैं। आयोग का कहना है कि कई जगहों पर नेता पकड़े जाने से बचने के लिए गरीब लोगों को कूपन दे रहे हैं जिसके बदले में वे मुफ्त में शराब या खाना ले सकते हैं। पंजाब में गुलाबी कूपनों के कई कार्टन पकड़े हैं। पता चला है कि गुलाबी कूपन से मुफ्त चिकन, नीले कूपन से देशी शराब और हरे कूपन से ब्रांडेड शराब मुफ्त में पाई जा सकती है।
देश भर में चुनावों का सिलसिला 7 अप्रैल से शुरू हुआ है और 12 मई तक चलेगा। तमाम ओपिनियन पोल देश भर में बीजेपी नेता मोदी की लहर बता रहे हैं। ताजा पोल के मुताबिक बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 543 में से 275 सीटों का बहुमत मिल जाएगा। लेकिन हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिए पता चला था कि यहां नोटों के दम पर गरीबों को ही नहीं, ओपिनियन पोल तक को खरीदा जा सकता है।
ऐसे में बेहतर यही होगी कि झूठे प्रचार या पिनक में आकर हर भारतीय अपने विवेक से वोट डाले। फिर चाहे त्रिशंकु सरकार बने या स्पष्ट बहुमत की, उससे लंबे समय भारतीय लोकतंत्र का ही भला होगा। वैसे, दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने एक विज्ञप्ति जारी कर चेतावनी दी है कि अगर त्रिशंकु सरकार बनती है तो वह भारत को निवेश की न्यूनतम श्रेणी (BBB-/Negative/A-3) से नीचे उतार सकती है। तब भारतीय कंपनियों और बैंकों के लिए विदेश से ऋण जुटाना महंगा पड़ सकता है।