संसद से सड़क तक हंगामे का दिन, संसद में कटौती प्रस्ताव तो बाहर भारत बंद

आज संसद के भीतर और बाहर हंगामे का दिन है। लेफ्ट समेत 13 राजनीतिक पार्टियों से आज महंगाई के खिलाफ भारत बंद बुला रखा है। साथ ही वे संसद के भीतर पेट्रोल, डीजल व उर्वरक की बढ़ाई गई कीमतों को वापस लेने के लिए सरकार के खिलाफ कटौती प्रस्ताव या कट मोशन भी पेश करेंगी। कटौती प्रस्ताव की खासियत यह है कि अगर यह पारित हो गया तो सरकार गिर जाएगी। लेकिन ऐन वक्त पर यूपीए सरकार ने बहन मायावती को पटाकर बीएसपी को साथ कर लिया है। इस तरह 545 सदस्यों की लोकसभा में उसने 274 मतों का इंतजाम कर लिया है। लेकिन अगर मायावती ने मौके पर दगा दे दिया तो सरकार मुसीबत में फंस सकती है।

कटौती प्रस्ताव लाने और भारत बंद बुलाने वाली 13 पार्टियों में सीपीआई, सीपीएम, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी, समाजवादी पार्टी, लोकजनशक्ति पार्टी, आरजेडी, जेडी-यू, बीजू जनता दल, तेलगू देशम, एआईएडीएमके, इंडियन नेशनल लोकदल और राष्ट्रीय लोकदल शामिल हैं। भारत बंद के दौरान उनके कार्यकर्ता चक्का जाम के साथ ही रेलें भी रोकने की कोशिश करेंगे। इन पार्टियों में यूं तो बीजेपी शामिल नहीं है। लेकिन वह उनके खिलाफ भी नहीं है। महंगाई के मुद्दे पर वह भी सरकार को घेरना चाहती है। लोकसभा में पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे का कहना है कि बीजेपी ने महंगाई के खिलाफ़ संसद के भीतर और बाहर जोरदार ढंग से आवाज उठाई है। साथ ही वह हर कटौती प्रस्ताव का समर्थन करेगी।

आज 13 विपक्षी पार्टियां संसद में कटौती प्रस्ताव लाएंगी। इसके लिए उन्होंने अपनी सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए ह्विप भी जारी कर रखा है। बीजेपी भी इस आशय का ह्विप जारी करनेवाली है। लेकिन सरकार बीएसपी का समर्थन पाकर काफी हद तक निश्चिंत हो गई है।

विपक्षी दलों की तरफ से सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी का कहना है कि कटौती प्रस्ताव का मकसद उन अधिसूचनाओं को निरस्त करवाना है जिसके माध्यम से पेट्रोल, डीजल और उर्वरक पर कस्टम व एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि हम सरकार को अस्थिर नहीं करना चाहते। फिर सरकार को अपनी स्थिरता का इंतजाम खुद करना है। विपक्ष को अवाम की चिंता करनी है न कि सरकार की स्थिरता की। इस साल का वित्त विधेयक 30 अप्रैल तक पारित किया जाना है। इसे संसद में आज नहीं, कल मतदान के लिए पेश किया जाएगा।

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