बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने बीमा एजेंटों की ऑनलाइन ट्रेनिंग में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई सख्त नियम बना दिए हैं। इसमें खास बात यह है कि उम्मीदवार के पास अपना ईमेल आईडी व मोबाइल होना जरूरी है और हर सत्र यानी चार घंटे की ट्रेनिंग के बाद उसे नया पासवर्ड दिया जाएगा जो उसे एसएमएस से सूचित किया जाएगा। बीमा नियामक संस्था ने बुधवार को ऑनलाइन एजेंट ट्रेनिंग इस्टीट्यूट्स के लिए जारी मानक दिशानिर्देशों में यह जानकारी दी है। इरडा ने और कभी कई ऐसे नियम बनाए हैं कि अब बिना ट्रेनिंग पूरी किए उसका प्रमाणपत्र लेना नामुमकिन हो जाएगा।
इरडा को इस तरह की रिपोर्टें बराबर मिलती रही हैं कि कैसे एजेंटों की परीक्षा से लेकर ट्रेनिंग तक में धांधली होती है और नोट खर्च करके अनिवार्य परीक्षा पास करने व ट्रेनिंग के घंटे पूरे करने का सर्टीफिकेट ले लिया जाता है। अब उसने नए दिशानिर्दशों के जरिए इसे रोकने का इंतजाम किया है।
असल में यह इरडा की तरफ से सालोंसाल से बिखरे पड़े अपने घर को चाक-चौबंद और पारदर्शी बनाने की कोशिश का एक हिस्सा है। इसका असर भी दिखने लगा है। जहां पहले बीमा कंपनियों की माली हालत का पता केवल इरडा की सालाना रिपोर्ट में चलता था, वह भी काफी देर से, वहीं अब हर तिमाही पर शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों की तरह ये कंपनियां भी पूरा वित्तीय ब्योरा न केवल अपनी वेबसाइट पर दे रही हैं, बल्कि अखबारों में भी छपवा रही हैं।
बता दें कि सरकारी व निजी बीमा कंपनियों की तरफ से देश भर में आज की तारीख में 2917 एजेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाए जा रहे हैं, जबकि ऑनलाइन एजेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूटों की संख्या 17 है। इन ऑनलाइन इंस्टीट्यूटों में चूंकि उम्मीदवार की प्रत्यक्ष उपस्थिति नहीं रहती, इसलिए लॉगिन-पासवर्ड लेकर कोई भी दूसरे के लिए ट्रेनिंग पूरा कर लेता था और कुछ रकम लेकर सर्टीफिकेट दूसरे के हवाले कर देता था। वैसे जून 2006 में भी इरडा ने इसे रोकने के लिए तय किया था कि एक कंप्यूटर पर एक से ज्यादा लॉगिन नहीं हो सकते और एक ही यूजर-आईडी/पासवर्ड एक ही समय अलग-अलग कंप्यूटरों पर नहीं चल सकते। मई 2005 में जारी मूल दिशानिर्देशों में यह शर्त भी जोड़ दी गई थी कि ऑनलाइन इंस्टीट्यूट जीवन व साधारण बीमा के लिए केवल एक ही डोमेन चला सकते हैं।
नए नियम के मुताबिक जो भी उम्मीदवार ऑनलाइन ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, उनके पास ईमेल आईडी और मोबाइल फोन होना जरूरी है। जब भी वह इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग करना चाहेगा तो उसे उसके पोर्टल पर ऑनलाइन अनुरोध करना होगा। पोर्टल इसके बाद उसके मोबाइल पर पासवर्ड भेज देगा। यह पासवर्ड केवल एक सेशन यानी 4 घंटे के लिए चलेगा। अगले सेशन पर उसे नया पासवर्ड लेना पड़ेगा। हर सेशन पर आईपी एड़्रेस से लेकर लॉगिन, पासवर्ड व समय का ब्योरा इंस्टीट्यूट को संभाल कर रखना होगा और ट्रेनिंग खत्म होने पर उसे उम्मीदवार के यूआरएन नंबर के साथ इरडा के पास भेजना होगा। ध्यान दें कि उम्मीदवार को नया पासवर्ड हमेशा उसके मोबाइल पर ही भेजा जाएगा।
इरडा ने यह भी तय किया है कि ऑनलाइन एजेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को मान्यता देने की प्रक्रिया में उनके आवेदन इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (आईआईआई) के पास मुंबई भेजे जाएंगे जो वेब टेक्नोलॉजी की किसी विशेषज्ञ संस्था की मदद से परखेगा कि आवेदन करनेवाले इंस्टीट्यूट ने तय दिशानिर्देशों का पालन कहां तक किया है। अब साल भर में दो बार ऑनलाइन एजेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट मान्यता देने का काम किया जाएगा और पहले की तरह एक बार मिली मान्यता साल भर के लिए ही वैध होगी।
इरडा इससे पहले एजेंटों की अनिवार्य ट्रेनिंग के घंटे भी आधे कर चुका है। पहले एजेंट को लाइसेंस पाने के लिए जीवन बीमा व साधारण बीमा के लिए अलग-अलग 100 घंटे और दोनों का एक साथ लाइसेंस पाने के लिए 150 घंटे ट्रेनिंग लेनी पड़ती थी। लेकिन अब इसे घटाकर क्रमशः 50 और 75 घंटे किया जा चुका है।
इरडा के नए दिशानिर्देश: online guideline
बहुत सुंदर शब्दो में वृहद् जानकारी। हार्दिक धन्यवाद