अगले महीने मई की पहली तारीख या उसके बाद पब्लिक इश्यू लानेवाली किसी भी कंपनी को अपने शेयर इश्यू बंद होने के 12 दिन के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध या लिस्ट करा देने होंगे। पूंजी बाजार नियामक संस्था सेबी ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। इसमें इश्यू बंद होने और लिस्ट होने की तारीखें शामिल हैं। इसलिए व्यावहारिक रूप से कंपनी के पब्लिक इश्यू और उसके शेयरों की लिस्टिंग के बीच का समय अब घटकर 10 दिन रह जाएगा। अभी तक यह समय 22 दिन का है।
सेबी ने इसी साल 6 मार्च को हुई अपनी बोर्ड बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा की थी। बोर्ड मीटिंग के बाद बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में सेबी चेयरमैन सी बी भावे ने कहा था कि इश्यू के बंद होने और लिस्ट होने के बीच का समय इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक घटाकर सात दिन कर दिया जाएगा। उनका कहना था कि अभी निवेशकों का पैसा करीब दो से तीन हफ्ते तक फंसा रहता है। इस दौरान उन्हें पता नहीं रहता कि आवेदन किए गए शेयरों का आवंटन होगा कि नहीं। इस अनिश्चितता और जोखिम को कम करने के लिए सेबी इश्यू के बंद होने और लिस्ट होने का समय घटाने जा रही है। इसका मकसद पब्लिक इश्यू की मौजूदा प्रक्रिया को ज्यादा कुशल बनाना है। बता दें कि पब्लिक इश्यू में आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक ऑफर) और एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) दोनों ही आते हैं। इसलिए सेबी का नया फैसला दोनों पर लागू होगा।
1 मई से क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन खरीदारों (क्यूआईबी) को भी इश्यू में आवेदन के साथ 10 फीसदी के बजाय आम निवेशकों की तरह पूरी रकम जमा करानी होगा। साथ ही वे अस्बा (एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड एमाउंट) की सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिसमें बैंक खाते से आवेदन का पैसा तब तक नहीं निकलता, जब तक शेयर एलॉट नहीं हो जाते। सेबी के आज जारी बयान में कहा है कि नए फैसले के मुताबिक अस्बा में भी जरूरी बदलाव किए जाएंगे।
सेबी के ताजा कदम पर एसएमसी कैपिटल के इक्विटी प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला का कहना है कि इससे बाजार में अधिक स्पष्टता आएगी और निवेशकों का भी इससे भला होगा। जो अस्बा का लाभ नहीं उठाते, उनके लिए आवेदन रकम पर अब ब्याज कम देना होगा। सेबी के बयान में कहा गया है कि इश्यू के रजिस्ट्रार से लेकर बुक रनिग लीड मैनेजर तक को आंकडों को व्यवस्थित करने में तेजी दिखानी होगी ताकि आवंटन की प्रक्रिया जल्दी से जल्दी पूरी कर ली जाए।
वैसे, मर्चेंट बैंकरों का कहना है कि अभी 22 दिन की समयसीमा होने पर शेयरों का आवंटन पूरा करने में अमूमन 14 दिन लगते हैं। लेकिन अब काम 5 दिन में पूरा करना पड़ेगा। हालांकि अभी तो निवेश की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होती है। इसलिए इस लक्ष्य को हासिल करने में खास दिक्कत नहीं आएगी। हां, जो पब्लिक इश्यू बड़े होंगे और कई गुना ज्यादा सब्सक्राइब हुए होंगे, उनके लिए जरूर मुश्किल थोड़ी बढ़ सकती है।