अभी अमेरिका में गोल्डमैन सैक्स पर खुद वहां की पूंजी बाजार नियामक संस्था एसईसी (सिक्यूरीज एंड एक्सचेंज कमीशन) द्वारा फ्रॉड का आरोप लगाने जाने के बाद महीने भर भी नहीं बीते हैं कि दूसरे अहम वित्तीय संस्थान मॉरगन स्टैनले पर निवेशकों को डेरिवेटिव सौदों में गुमराह करने का आरोप लग गया है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने कारोबारियों के हवाले खबर दी है कि अमेरिकी की संघीय जांच एजेंसियां इन सौदों की तहकीकात में लग गई हैं।
कहा जा रहा है कि मॉरगन स्टैनले ने निवेशकों को बांड से जुड़े निवेश प्रपत्र सीडीओ (कोलैटराइज्ड डेट ऑब्लिगेशन) की व्यवस्था व बिक्री की और खुद उसकी ही ट्रेडिंग डेस्क ने कई बार दांव लगाया कि सीडीओ के भाव गिर जाएंगे। जांच एजेंसियां इस बात का पता लगा रही है कि मॉरगन स्टैनले ने इन गिरवी-डेरिवेटिव सौदों में निवेशकों को किस तरह गुमराह किया है। सीडीओ होमलोन या ऐसे ही ऋणों पर आधारित डेरिवेटिव ऋण प्रपत्र होते हैं जो समान क्रेडिट वाले कॉरपोरेट बांडों से थोड़ा ज्यादा ब्याज देते हैं।
इस बीच टोक्यो में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मॉरगन स्टैनले के सीईओ जेम्स गॉरमैन ने कहा कि इन आरोपो में कोई दम नहीं है और वॉल स्ट्रीट जनरल का लेख निराधार है। अमेरिकी न्याय विभाग ने भी अभी तक उनके बैंक से कोई संपर्क नहीं किया है। दिलचस्प बात यह है कि जिन सीडीओ सौदों की बात हो रही है, उन्हें अमेरिका के दो दिवंगत राष्ट्रपतियों – जेम्स बुकानन और एंड्रयू जैक्शन का नाम दिया गया था। ट्रेडर भी इन्हें आपसी बातचीत में डेड प्रेसिडेंट्स कहते रहे हैं।
वॉल स्ट्रीट जनरल की खबर में कहा गया है कि मॉरगन स्टैनली ने साल 2007 इन सीडीओ में दो बार सौदे किए थे। हालांकि उसे मुनाफे के बजाय 9 अरब डॉलर का घाटा उठाना पड़ा। इस पर मॉरगन स्टैनले के सीईओ गॉरमैन का कहना है कि हमने इस मामले पर आंतरिक स्तर पर गौर किया है। हमने डेड प्रेसिडेंट्स के सौदों की परख की है। लेकिन ऐसा मानने का कोई आधार नहीं है कि अमेरिकी जांच एजेंसियां इन सौदों की पड़ताल कर रही हैं। वैसे, इस खबर ने आज भारत समेत पूरी दुनिया के बाजारों में सनसनी फैला दी। हालांकि भारत में दूसरी वजहों से बाजार थोड़ा बढ़कर बंद हुआ है। हमारे यहां कुछ कारोबारियों के बीच यह भी माना जा रहा है कि तीन साल पुराने इन सौदों को अब अनावश्यक तूल दिया जा रहा है।