सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार 18 दिसंबर 2009 से रुका हुआ फैसला शुक्रवार 7 मई 2010 को आ गया। कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दो-एक के बहुमत से रिलायंस इंडस्ट्रीज के हक में फैसला सुनाया है। उसका कहना है कि गैस जब तक ग्राहक तक नहीं पहुंचती, तब तक वह पूरी तरह जनता का नुमाइंदा होने के कारण सरकार की है। किन्हीं भी दो पक्षों या परिवारों के बीच हुआ एमओयू (आपसी करार) कोई कानूनी वैधता नहीं रखता। साथ ही यह भी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज (आरएनआरएल) को छह हफ्ते में आपसी बातचीत करके मामले को अपने स्तर पर रफा-दफा कर देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देने का सिलसिला सुबह 10.30 बजे शुरू किया और 11.15 बजे तक अंतिम फैसला आ गया। सबसे पहले खंडपीठ के पहले सदस्य जस्टिस पी सतशिवम ने अपना फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि पोडक्शन शेयररिंग कांट्रैक्ट (पीएससी) सभी सहमतियों से ऊपर है। आरआईएल और आरएनआरएल के बीच 2005 में हुआ एमओयू कोई वैधानिक रूप से स्वीकार्य करार नहीं है। कोर्ट के लिए सरकार द्वारा गैस की कीमतें तय करने के अधिकार को रोकना संभव नहीं हैं। वैसे भी, देश की संपत्ति जनता व सरकार की है। केजी बेसिन से जो भी गैस निकलेगी, उसकी कानूनी मालिक सरकार है। ऐसे में आरआईएल और आरएनआरएल को छह हफ्ते के भीतर सरकार के नियमों के तहत आपस में बातचीत करके मामले को सुलझा लेना चाहिए।
इसके बाद खंडपीठ के दूसरे सदस्य जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने अपना फैसला रखा। उन्होंने जस्टिस सतशिवम की राय से विपरीत राय दी। उनका कहना था कि आरआईएल ने 2003 में एनटीसीपी के टेंडर में खुद 2.34 डॉलर प्रति यूनिट की दर से केजी बेसिन से गैस सप्लाई करने की पेशकश की और यह सौदा उसे मिला। इसी आधार पर उसके और आरएनआरएल के बीच 2.34 डॉलर की दर पर 17 सालों के लिए गैस सप्लाई करने का करार हुआ। यानी, जस्टिस रेड्डी 15 जून 2009 को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा आरएनआरएल के पक्ष के सुनाए गए फैसले के हक में थे।
खंडपीठ के दो सदस्यों के विपरीत मत रखने के कारण अब उसके अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन को भी अपना पक्ष रखना पड़ा और उन्होंने जस्टिल सतशिवम की राय से सहमति व्यक्त की। इस तरह सुप्रीम कोर्ट में 2-1 के बहुमत से फैसला मुकेश अंबानी की कंपनी आरआईएल के पक्ष में हो गया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाहर आने तक शेयर बाजार में लगातार आरआईएल और आरएनआरएल के शेयरों की धुकधुकी तेज गति से चलती रही। कभी एक शेयर आगे जाता था तो कभी दूसरा।
सुबह कारोबार शुरू होने पर आरआईएल का शेयर 1.23 फीसदी नीचे और आरएनआरएल का शेयर 4.4 फीसदी ऊपर था। लेकिन फैसले के बाद अब बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में आरएनआरएल करीब 19 फीसदी नीचे गिर चुका है, जबकि आरआईएल में करीब 4 फीसदी की बढ़त हो चुकी है।
बता दें कि आरएनएआरएल के चेयरमैन अनिल अंबानी फैसले की घड़ी शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। लेकिन फैसला आ जाने के बाद वे बिना किसी से कुछ बोले चुपचाप निकल गए। यकीनन यह उनके लिए बड़ा सदमा है। दूसरी तरफ मुकेश अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट आने की जरूरत ही नहीं समझी। शायद उनको पहले से अहसास था कि फैसला उनके ही हक में आनेवाला है।