शेयर बाज़ार में हर स्टॉक के पीछे कोई न कोई बिजनेस और लिस्टेड कंपनी होती है। कंपनी का धंधा सॉलिड है तो उसका शेयर कभी न कभी बम-बम करेगा। हर डेरिवेटिव के पीछे कोई न कोई स्टॉक या सूचकांक होता है। सोने से लेकर हर मेटल या जिंस के फ्यूचर्स व ऑप्शंस के पीछे भी उसका भौतिक आधार होता है। लेकिन क्रिप्टो के पीछे क्या आधार है? कंप्यूटर प्रोग्रामिंग व आईटी के बहुत ऊंचे उस्ताद क्रिप्टो करेंसी को ‘माइन’ करते हैं। इसमें सॉलिड दिमाग के साथ ही इतने तेज़ प्रोग्राम और इतनी ज्यादा बिजली इस्तेमाल होती है कि आम आदमी के लिए इन्हें माइन करना मुमकिन नहीं है। इसलिए हमारे-आप को लिए यह हवा-हवाई चीज है। इसके झांसे में पड़ना शुद्ध सट्टेबाज़ी है। फिर बजट में क्यों इसे मान्यता मिली? अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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