डेमोग्राफी का दम क्यों हो रहा है बेदम!

शेयरों के भाव तब बढ़ते हैं जब उनके पीछे धन उमड़ता है। धन तब उमड़ता है, जब हवा होती है, माहौल बनता है। माहौल तब बनता है, जब कंपनियों के धंधे में बरक्कत हो रही होती है या ऐसा होने की प्रबल संभावना होती है। कंपनियां के धंधे में बरक्कत अर्थव्यवस्था के दम पर होती है। अर्थव्यवस्था तब बढ़ती है जब कोई देश अपनी प्राकृतिक, भौतिक व मानव सम्पदा का महत्तम इस्तेमाल करता है। भारत के पास सबसे बड़ी ताकत है उसकी डेमोग्राफी या मानव संपदा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा था, “आज हमारे पास डेमोग्राफी है, डेमोक्रेसी है, डाइवर्सिटी है। डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी की ये त्रिवेणी भारत के हर सपने को साकार करने का सामर्थ्‍य रखती है।” लेकिन पिछले कुछ सालों में डेमोक्रेसी व डाइवर्सिटी की क्या हालत देश में हुई है, इससे हर कोई वाकिफ है। दिक्कत यह है कि अब डेमोग्राफी का दम भी बेदम हुआ जा रहा है। अब सोमवार का व्योम…

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