इस साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार हार्वर्ड विश्वविद्यालय की 77 साल की प्रोफेसर क्लाउडिया गोल्डिन को श्रम बाज़ार में महिलाओं की भूमिका की बेहतर समझ विकसित करने के लिए मिला है। पुरस्कार समिति के अध्यक्ष जैकब स्वेनसन का कहना है कि यह समझ समाज के लिए बेहद अहम है और क्लाउडिया गोल्डिन की रिसर्च से हमें उन तमाम कारकों व बाधाओं का गहरा अहसास हुआ है जिन्हें भविष्य में सुलझाने की दरकार है। प्रोफेसर गोल्डिन ने 200 सालों से ज्यादा के डेटा के अध्ययन व विश्लेषण से पता लगाया है कि अमेरिका जैसे विकसित देश तक में एक ही काम कर रहे पुरुषों व महिलाओं के वेतन में अंतर क्यों रहता है और यह अंतर महिला के पहले बच्चे के जन्म के बाद कैसे व क्यों बढ़ जाता है। अब उन्होंने पता लगा लिया है कि श्रम बाजार में यह असंतुलन क्या और कैसे हैं तो दुनिया भर के नीति-नियामकों को इन हालात को सुलझाने के उपाय निकालने में आसानी हो जाएगी। जब बीमारी का पता लग गया और उसके कारणों को भी खोज निकाला गया, तब स्वाभाविक रूप से उसका कारगर इलाज विकसित किया जा सकता है। प्रोफेसर गोल्डिन ने महिला श्रम संबंधी तमाम मिथकों को भी ध्वस्त कर दिया है। अब सोमवार का व्योम…
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