भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सारा मंसूबा इस पर टिका है कि देश में भरपूर विदेशी निवेश आएगा। शेयरों के साथ उद्योग में भी। पर बिजनेस करने की आसानी के दावों के बावजूद विदेशी निवेशकों को चीन, वियतनाम या थाईलैंड ज्यादा रास आते हैं। कारण स्पष्ट है। विश्व व्यापार में हमारा हिस्सा 2% से कम है जबकि हमारे यहां ट्रांसफर-प्राइसिंग विवाद दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा हैं। अब शुक्र का अभ्यास…
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